10 हजार से संतुष्ट नहीं शिक्षामित्र, फूंक डाले कैबिनेट के निर्णय
शिक्षामित्रों ने लखनऊ में आन्दोलन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के बाद भी जो मिला वह है 10 हजार रुपये वो भी केवल 11 महीनों के लिए तो कुछ गलत नहीं होगा. मुख्यमंत्री योगी जी की कैबिनेट ने जो निर्णय लिया उसमे शिक्षामित्रों के लिए यही प्रावधान है. तो वह उनके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है जो तीस से चालीस हजार रुपयें पाने का ख्वाब सजा कर बैठे थे. योगी जी ने शिक्षामित्रों से बातचीत करने के बाद जब कहा था कि आप लोग आन्दोलन छोड़कर स्कूलों में पढ़ाने जाइए तो शिक्षामित्रों को लगा था की अब योगी जी ने ऐसा कह दिया है तो उनके साथ कुछ गलत नहीं होगा लेकिन कैबिनेट के निर्णय के बाद उनके हात केवल निराशा ही हाथ लगी है. कुछ इसी से नाराज शिक्षामित्र 10 हजार रूपये के मानदेय को गलत बताते हुए बस्ती जिले में बीएसए कार्यालय पहुंचे. जहाँ पर यह निर्णय लिया गया कि सरकार जब तक सर्वमान्य हल नहीं निकालती शिक्षा मित्र चरणबद्ध ढंग से अहिसंक आन्दोलन जारी रखेंगे. हजारों की संख्या में शिक्षकों का काफिला सरकार विरोधी नारे लगाते हुये जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा जहां उन्होंने कैबिनेट के फैसले की प्रतियां जलाते हुये विरोध प्रदर्शन किया. इसके साथ ही शिक्षामित्रों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि वे बिना पैसे के पढ़ाने को तैयार है लेकिन 10 हजार रूपये का मानदेय स्वीकार्य नही हैं.
बीएसए कार्यालय पर आयोजित सभा में कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पर भरोसा था लेकिन उन्होंने शिक्षा मित्रों का भरोसा तोड़ दिया. सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद से ही शिक्षा मित्रों के साथ राजनीतिक छल किया जा रहा है और अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. शिक्षामित्र अपने अधिकारों के लिये लोकतांत्रिक ढंग से अपना संघर्ष जारी रखेंगे. साथ ही शिक्षामित्रों से यह भी अपील की गयी कि वह अपना धैर्य और संयम बनाये रखे और आत्महत्या या हिंसक विरोध प्रदर्शन की ओर कदम न बढायें. हम लड़ेंगे और जीतेंगे.
Report- Rakesh Giri