प्रतिवाद भयंकर परमहंस के जीवन से जुड़े है ये रहस्य





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अयोध्या – राममंदिर आन्दोलन के महानायक ‘प्रतिवाद भयंकर’ रामचन्द्रदास परमहंस जी महाराज के जीवन लीला की जानकारी अब सर्वसमाज को सुलभता से हो सकेगी। इसका माध्यम बनी है दंतधावन कुंड अयोध्या निवासी संतोष त्रिपाठी की पुस्तक ‘कर्मयोगी संतरत्न प्रतिवाद भयंकर परमहंस श्रीरामचन्द्रदास जी महाराज’। इस किताब में श्री त्रिपाठी ने उनके जीवन लीला के प्रत्येक महत्वपूर्ण प्रसंगों को बहुत ही निपुणता से समाज के समक्ष पेश करने का प्रयास किया है। पुस्तक में लेखक ने परमहंस जी महाराज के जन्म एवं शिक्षा-दीक्षा से लेकर श्रीराममंदिर संकल्प, जनजागरण अभियान, श्रीराममंदिर आन्दोलन, शिलादान कार्यक्रम एवं तत्कालीन राजनीतिक एवं सामाजिक परिदृश्य को विस्तृत रूप से उल्लिखित करने का सराहनीय कार्य किया है। पुस्तक में श्रीराम के प्रति उनकी अगाध आस्था, श्रीराम मंदिर निर्माण आन्दोलन में सक्रिय योगदान एवं समाज के सभी वर्गों में समरसता स्थापित करने हेतु किये गये कार्यों का भी जिक्र है जो पुस्तक की सामग्री को पुष्ट करने का काम करती है।




पुस्तक में प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद से परमहंस जी महाराज की नजदीकियां, प्रधानमंत्री नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, वीपी सिंह, चन्द्रशेखर, नरसिंहाराव एवं अटलबिहारी बाजपेयी के योगदान और हस्तक्षेप दोनों को बहुत अच्छे ढंग से वर्णित किया गया है। परमहंस जी महाराज की तपस्या, रामभक्ति, अकाट्य प्रतिवादिता, गरीबों व बेजुबानों (गाय-बंदर इत्यादि) के प्रति अनुराग, राममंदिर आन्दोलन का नेतृत्व और राजनीतिक सियासत के संघर्ष तथा उलटफेर को बहुत ही गहराई से सुंदर शब्दों में सरलता से वर्णित किया गया है।
परमहंस जी महाराज के जीवन चरित्र पर पुस्तक लिखने की प्रेरणा के बाबत पूछने पर लेखक श्री त्रिपाठी कहते हैं कि राममंदिर आन्दोलन के महानायक रामचन्द्रदास परमहंस जी महाराज वैसे प्रत्येक हिन्दू के दिलों में निवास करते हैं, परन्तु सरकारों के उदासीन रवैये व उनके योगदान को कमतर करने की साजिश ने उनके मन में यह प्रेरणा दी कि रामजन्मभूमि आन्दोलन के महानायक के जीवन चरित्र को जनता के समक्ष पेश किया जाये। श्री त्रिपाठी कहते हैं कि यह उपेक्षा नहीं तो और क्या है कि परमहंस जैसी शख्सियत अयोध्या में एक समाधिस्थल को तरस रही है। फिलहाल परमहंस जी के उत्तम चरित्र से सिर्फ अयोध्या ही नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत का संतसमाज आज भी सुगंधित होता आ रहा है। उनकी स्पष्टवादिता, उनका फक्कड़पन, उनकी उदारता एवं उनके ज्ञान का अद्भुत भंडार ही उन्हें अमर बनाता है। श्री त्रिपाठी कहते हैं कि हिन्दुत्व का एकीकरण करने वाली यह पुस्तक सभी रामभक्तों के लिए संजीवनी है परमहंस जी महाराज के गौरवशाली गाधा की द्योतक है यह पुस्तक। पुस्तक की बढ़ रही मांग को लेकर पुस्तक का नया संस्करण परमहंस रामचन्द्रदास ‘एक विलक्षण व्यक्तित्व’ शीघ्र ही आने वाला है।
तेजी से बढ़ रही पुस्तक की लोकप्रियता
‘कर्मयोगी संतरत्न प्रतिवाद भयंकर परमहंस श्रीरामचन्द्रदास जी महाराज’ नामक पुस्तक की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। पुस्तक को बाजार में आये अभी कुछ ही माह ही हुये हैं लेकिन अब तक करीब 2000 से अधिक पुस्तकों की बिक्री हो चुकी है। विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व सामाजिक संस्थाओं द्वारा भी पुस्तक की बड़ी संख्या में डिमांड हैं। फैजाबाद के अवध विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अयोध्या शोध संस्थान, केन्द्रीय पुस्तकालय नई दिल्ली द्वारा पुस्तक की सैकड़ों प्रतियां मांगी जा चुकी हैं। पुस्तक की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पुस्तक संकलन के लिए श्री त्रिपाठी को संघ प्रमुख मोहन भागवत, रेलमंत्री सुरेश प्रभु, योगगुरू बाबा रामदेव, विहिप सुप्रीमो स्व.अशोक सिंहल, राज्यपाल रामनाईक, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष म.ज्ञानदास, न्यास अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास, ज.गु.रामभद्राचार्य, शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती, प्रमुख सचिव नवनीत सहगल मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शिवराज सिंह, चौहान, सांसद योगी आदित्यनाथ, राज्यसभा सदस्य विनय कटियार, मंत्री कलराज मिश्र, मंत्री उमाभारती सहित अन्य विशिष्टजनों का बधाई संदेश प्राप्त हुआ है।

Report- Nitin Mishra

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