रंगभरी एकादशी पर नागा साधुओं ने यहां खेली, भगवान के विग्रह के साथ होली
रंगभरी एकादशी तिथि से अवध में होली का आगाज हो गया। ब्रह्ममुहूर्त में ही नगरी के 10 हजार से अधिक मंदिरों के गर्भगृह में विराजमान भगवान की राग-भोग आरती, साज-सज्जा के साथ उनके गालों पर गुलाल लगाया गया। यही नहीं अवध में होली के आगाज पर मंदिरों में आने वाले भक्तों को भी प्रसाद के रूप में गुलाल लगाया गया तो रामनगरी की संस्कृति और भी पुष्ट हो गयी। यूं तो माघ शुक्ल पंचमी यानी कि बसंत पंचमी पर्व से रामनगरी में औपचारिक रूप से मंदिरों में होली का शुभारंभ हो जाता है और प्रतिदिन भगवान को अबीर-गुलाल भी चढ़ाया जाता है लेकिन फाल्गुन शुक्ल एकादशी यानि कि रंगभरी एकादशी पर्व से अवध की होली का विधिवत श्रीगणेश हो जाता है।
हनुमानगढ़ी से निकला परंपरागत जुलूस
रंगभरी एकादशी पर्व पर रंग भरी एकादशी के पर्व पर रामनगरी में संतों-महांतों ने अपने आराध्य के प्रति अनुराग प्रकट करते हुए अबीर-गुलाल उड़ाकर प्रभु के साथ होली खेली। हनुमानगढ़ी परिसर में रंगभरी एकादशी पर श्रद्धा अपने चरम पर दिखी। रंग भरी एकादशी के मौके पर धार्मिक नगरी अयोध्या कि सड़कें अबीर और उलाल से रंगी नजर आयीं और परम्परागत रूप से कड़ी सुरक्षा में प्रमुख सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी से साधू संतों का जुलूस अयोध्या के सड़कों पर निकला , संतो ने ढोल कि धुन पर जमकर नष्त्य किया तथा अखाड़े के पहलवानों ने अपनी शस्त्र कला का भी प्रदर्शन किया।
यह प्राचीन परम्परा सदियों से द्दार्मिक नगरी अयोध्या में चली आ रही है। रंगभरी एकादशी के मौके पर अयोध्या के साधू संत भगवान के साथ होली खेलते है । इसी परम्परा के तहत रंगभरी एकादशी के अवसर पर अयोध्या के प्रमुख सिद्धपीठों में शामिल प्राचीन हनुमान के नागा परम्परा से जुड़े साधू संत हनुमानगढ़ी मंदिर में रखे हनुमंत लला के प्रतीक चिन्ह झंडे और निशान को लेकर मंदिर परिसर में ही जमकर होली खेली। जिसके बाद जुलूस की शक्ल में नागा साधुओं की टोली बैंड बाजे के साथ अखाड़ों के पहलवानों के करतब दिखाते हुए अयोध्या की सड़कों पर निकले। होली की मस्ती में सराबोर संतो ने हर आने-जाने वाले लोगों को अबीर गुलाल से सराबोर कर दिया और अयोध्या में होली से चार दिन पूर्व ही होली का अहसास हो गया। नागा संतों का यह जुलूस अयोध्या के प्रमुख मार्गों से होता हुआ जुलूस के मार्ग में पड़ने वाले हर मंदिर तक पहुंचा। जहां पर नागा संतों ने भगवान् के विग्रह के साथ होली खेली।
अयोध्या के मंदिरों को दिया गया होली का आमंत्रण
रंगभरी एकादशी पर्व से ही अयोध्या के मंदिरों को होली का आमंत्रण प्रस्तुत किया जाता है। बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी सागरिया पट्टी के महांत ज्ञानदास बताते हैं कि रामनगरी में सदियों से होली मनाने की परंपरा रही है। मान्यता है कि त्रेतायुग में हनुमंतलला पंचकोस की परिक्रमा कर मंदिरों में होली का आमंत्रण देते हैं। परंपरानुसार अखिल भारतीय पंच रामानंदीय निर्वानी अखाड़ा की बजरंग बली की प्रधानतम पीठ से हनुमंतलला के प्रतिनिधि स्वरूप सैकड़ों की संख्या में नागा साधु हनुमानगढ़ी के पवित्र निशान को लेकर पंचकोस की परिधि में परिक्रमा कर नगरी के मंदिरों को होली का आमंत्रण प्रस्तुत करते है। इसी क्रम में संतों ने परिक्रमा कर सरयू स्नान किया। इस दौरान महांत संजय दास, हेमन्त दास, पुजारी राजूदास, पुजारी रमेश दास, अभय दास, अभिषेक दास, सत्यदेव दास सहित अन्य नागा संत मौजूद रहे।
Report- Nitin Mishra