अब फिल्मों के लिए धार्मिक बोर्ड..!

… फिल्म सेंसर बोर्ड की तरह मिलकर करे काम 

….प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी से इस पर चर्चा के लिए मांगा जा रहा है समय 

Meet Film Aadipurush Discussion

अयोध्या में राम की पैड़ी पर आदि पुरुष फिल्म का टीजर रिलीज होने के बाद से विरोध के स्वर ऊंचे ही होते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के पूर्व सदस्य और रेल मंत्रालय के सलाहकार समिति के सदस्य अनूप चौधरी ने इसको लेकर अधिकारियों और साधु संतों से मुलाकात की।

विचार विमर्श के बाद निर्णय हुआ कि आदि पुरुष फिल्म के निर्माता-निर्देशक को फिल्म को लेकर आपत्तियों को दूर करने के लिए पत्र भेजा जाएगा। यह पत्र श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की तरफ से भेजा जाएगा। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी मिलने के लिए समय देने को लेकर भी पत्र भेजा जाएगा। मुलाकात के दौरान उनसे इस बात का अनुरोध किया जाएगा की फिल्म सेंसर बोर्ड की तरह एक बोर्ड भी बनाया जाए जिसमें हर धर्म के स्कॉलर को जगह दी जाए यह बोर्ड धार्मिक फिल्म बनाने वाले निर्माता-निर्देशक को फिल्म को लेकर वेशभूषा और धार्मिक भावनाओं को लेकर सुझाव देगा । जिससे धार्मिक भावनाएं आहत ना हो सके और फिल्म बनने के बाद किसी भी प्रकार की विवाद से बचा जा सके।
अयोध्या के साधु-संतों के अलावा अब बाबरी मस्जिद की पूर्व पक्षकार रहे इकबाल अंसारी भी विरोध में खड़े हो गए हैं और कह रहे हैं की सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है जो पूरी दुनिया में जाना जाता है और राम की पैड़ी पर आदि पुरुष फिल्म का जो टीजर दिखाया गया उससे अयोध्या के हिंदू और मुसलमान सभी नाराज हैं जो वस्त्र पहने हुए दिखाया गया वैसा किसी भी धार्मिक ग्रंथ में उल्लेख नहीं है इसलिए या तो फिल्म में सुधार किया जाए नहीं तो फिल्म को बंद कर दिया जाए।
Meet Anup Chaudhary and SSP Ayodhya Prashant Varma

यह कहते है यूपी फिल्म विकास परिषद के पूर्व सदस्य ..

उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के पूर्व सदस्य और रेल मंत्रालय के सलाहकार समिति के सदस्य अनूप चौधरी कहते है
जब हमारे आराध्य के ऊपर कोई निर्माता-निर्देशक फिल्म बनाता है तो उसको भी यह बात पूछन चाहिए कि दिखाना क्या चाहता है, जिस तरह से आदि पुरुष में उन्होंने बड़े फिल्म अभिनेता है प्रभास जी मूंछें लगाए हुए बड़ी-बड़ी और वन में चप्पल पहने हुए हैं चमड़े का बहुत तरीके से जो भगवान राम का स्वरूप है माता सीता का जो स्वरूप है वस्त्र है चाहे वह जो पीतांबर वस्त्र उन्होंने वन में पहन कर रखा था नंगे पैर थे वह तो टोटल गलत दिखाने का काम किया जा रहा है इस फिल्म में या फिल्म अभी आई नहीं है टीजर और पोस्टर आया है इसका । उसी से पता चल रहा है कि यह देश में माहौल खराब करने का कार्य करेगी इसीलिए मैंने आज गुरुजी के साथ इस पर वार्ता की और अधिकारियों के साथ भी वार्ता की तो इसमें यह निर्णय निकल कर आया है कि सर्वप्रथम हम निर्माता-निर्देशक को पत्र भेजेंगे कि महोदय आप यह जो फिल्म बनाकर के रिलीज करने वाले हो इस फिल्म में आपने जो जो चित्र दिखाएं हैं भगवान के माता सीता के हनुमान जी के चाहे रावण के वह कभी गलत है उसको आप ठीक करके अच्छी फिल्म बनाकर अच्छा रिलीज करिए हम सबका पूरा समर्थन सहयोग है । किंतु आप ऐसी फिल्म मत बनाएं कि जिससे हमारे आराध्य का और हम लोगों को ठेस पहुंचे और मैं सरकार से भी मांग करूंगा गुरुजी के साथ उस पर चर्चा किया है । हम लोग बहुत जल्दी माननीय प्रधानमंत्री जी से, माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश जी से मुलाकात कर उनसे मांग करेंगे कि एक  जिस तरीके से फिल्म सेंसर बोर्ड है और एक उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश में फिल्म विकास परिषद है उसी तरीके से  देश में एक धार्मिक फिल्म सेंसर बोर्ड बने। जो भी लोग धार्मिक फिल्में बनाना चाहते हैं उनका स्वागत है हमें बहुत अच्छा है किंतु एक बार वह स्वीकृति आवश्यक हो। जिससे यह पता चल जाएगा कि आप क्या दिखाना चाहते हो , भगवान का कैसा स्वरूप दिखाना चाहते हो अगर हमारे शास्त्रों के हिसाब से है तो अच्छा है नहीं तो यह सेंसर बोर्ड बताएगा । इसके यह फायदे होंगे कि जो पैसे फिल्म बनने के बाद विरोध के बाद फिल्म वैन हो जाती है तो वह भी बचेगा और देश में जो आए दिन दंगे हो जाते हैं फिल्मों को लेकर दंगा भी नही होगा ।

..श्री रामजन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी का यह है पक्ष..

 ऐसी स्थिति में जो सुझाव मिला है एक बार पत्र लिखकर उन को चेतावनी दी जाए कि आप जो फिल्म बनाए हैं आदि पुरुष उसमें गड़बड़ियां हैं जो पात्रों का स्वरूप है वह बिल्कुल गलत है जिससे उसमें सुधार कर लें तो अच्छी बात है उसके बाद इस संबंध में समय लेने के लिए पत्र प्रधानमंत्री जी को और मुख्यमंत्री जी को लिखा जाएगा की वह समय दें समय इसलिए मांगा जाएगा कि इस प्रकार से धार्मिक बोर्ड बने और उस बोर्ड के निर्देशन में ही जो भी फिल्म नए ढंग से या किसी भी धार्मिक फिल्म बने तो उसमें जब या बोर्ड देख लेगा और उससे स्वीकृति मिल जाएगी तब फिल्म रिलीज होगी बनाना बहुत जरूरी है क्योंकि तमाम ऐसी फिल्म बनती है और बनने के बाद उसका विरोध होता है और विरोध होने के बाद एक प्रकार से विवाद शुरू होता है वह समाप्त हो जाएंगे क्योंकि बोर्ड तभी उसकी स्वीकृति देगा जबकि उसमें पता चलेगा की इसमें कोई धार्मिक और जो चित्र दिखाए जाएंगे उस में गड़बड़ी नहीं है।

..इकबाल अंसारी ने भी मिलाया सुर से सुर …..

बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार रहे इकबाल अंसारी कहते है  यह सवाल हमारे अयोध्या का है और अयोध्या के धर्म का है और सनातन धर्म का है सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है जो पूरी दुनिया में जाना जाता है और आदि पुरुष जो है हमारी राम की पैड़ी पर उसका ट्रेलर दिखाया गया वहां जैसे पिक्चर दिखाई गई अयोध्या के साधु संतों ने उसका विरोध किया और विरोध जिस प्रकार से हुआ है कि पूरे अवधिया के साधु-संत नाराज हैं हिंदू मुसलमान नाराज हैं क्योंकि भगवान राम हो माता सीता हो और ऐसा वस्त्र दिखाया गया जो वस्त्र आज तक किसी धर्म में दिखाया ही नहीं गया किसी देवी देवता ने वैसा पहना ही नहीं तो हम यह चाहते हैं कि धर्म के विपरीत कोई काम नहीं होना चाहिए हम अयोध्या के मुसलमान हैं फिर भी धर्म का सम्मान करते हैं और इसके बाद राम की पैड़ी पर वही लोगों को दिखाया जा रहा है साधु संतों ने देखा हिंदू मुसलमान ने देखा सभ उसका विरोध कर रहे हैं और हम भी उसका विरोध कर रहे हैं हम यह चाहते हैं कि जो वस्त्र पहनाया गया है उसको बदला जाए नहीं तो फिल्म को बंद किया जाए।

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