इस रालोद नेता ने बस्ती में नदियों की सफाई को लेकर मोदी सरकार पर लगाया बड़ा आरोप
एक तरफ तो केन्द्र की मोदी सरकार स्वच्छ भारत स्वस्थ्य भारत अभियान व गंगा की सफाई हेतु नमामि गंगे परियोजना पर जनता की गाढी कमाई का पैसा पानी की तरह बहा रही है वहीं हर सरकार जल संरक्षण पर जोर दे रही है किन्तु तीन वर्षों में सफाई के नाम पर जहां एक पैसे का सुधार नहीं दिख रहा है वहीं तमाम पौराणिक नदियों का स्तित्व ही खतरे में है बस्ती जनपद की पुराणों में वर्णित मोक्षदायनी मनोरथ पूर्ण करने वाली जिसका श्रेय प्रभू राम के जन्म से भी जुडा है ऐसी पतितपावनी रामरेखा व मनोरमा नदियां न केवल अपने स्तित्व के लिए लडती नजर आ रही हैं अपितु देखने में किसी नाले से कम नजर नहीं आती कारण इनके जीर्णोद्धार के नियति से नहीं अपितु जो भी काम हुआ वो महज धन उपभोग हेतु इस सन्दर्भ में पूर्व की सपा सरकार व वर्तमान की मोदी सरकार को दोषी करार देते हुए रालोद के चन्द्रमणि पाण्डेय कहते हैं कि जहां सपा ने हरिधाम हर्रैया में कहने को तो मनोरमा पर करोडों का घाट बनया किन्तु इन नदियों की सफाई पर अवमुक्त धन का बंदर बांट हो गया फलतः सदानीरा व सतत प्रवाहमान ये नदियां मैली व स्थिर हो चुकी हैं वहीं सत्ता में आने के पूर्व जिस नदी के किनारे स्थित मख भूमि मखौडा को राजनीति का केन्द्र बनाकर भाजपा ने संकल्प सभा का आयोजन किया था आज उसी नदी को भूल चुके हैं इनके पर्यटन के विकाश में मखौडा में घाटों का निर्माण तो सम्मिलित है किन्तु इस नदी के जल की स्वच्छता बनाये रखने व सदानीरा बनाये रखने की कोई योजना नहीं है फलतः जिन नदियों में लोग स्नान मंजन पान करते थे आज कोई मुख धोना तक पसंद नहीं करेगा उपर से नगरपंचायत के गंदे नालों को भी इसी नदी से जोड दिया गया है सरकार व प्रसासनिक अधिकारियों के अलावां इन नदियों की दुर्दशा हेतु आम जनमानस भी कम जिम्मेदार नहीं है नदी किनारे स्थित मंदिर पर पूजन भजन के दौरान आयोजित भोज से सम्बन्धित दोना पत्तल भी उसी के किनारे छोड देते हैं सरकार व समाज को चाहिए कि नदियों की सफाई करायें बीच में फंसे मलबों व मिट्टी को साफ कर नदी दल के प्रवाह को अवरूद्ध होने से बचायें वरन ये सूखती नदियां अपने साथ न केवल क्षेत्र के पौराणिक इतिहास को समेट ले जायेंगीं अपितु आने वाले दिनों में जल संकट का कारक बनेंगीं ।
Report- Rakesh Giri