कठुआ पर राजनीति तो सासाराम पर सन्नाटा क्यों , क्या धर्म तय करेगा अपराध !
कठुवा में आठ साल की बच्ची के साथ गैंगरेप के बाद उसे मार डाला गया, इस घटना को हुए 3 महीने बीत चुके है लेकिन इस मुद्दे पर अब राजनीति हो रही है. इसका कारण चार्जशीटमें रेप की दिल दहला देने वाली बात सामने आयी है. वजह है लड़की का धर्म क्योकि वह लड़की मुस्लिम जिसकी वजह से यह मुद्दा इतना गर्म है. रेप की ऐसी ही वारदात चार दिन पहले बिहार के सासाराम में भी हुई, जहाँ 6 साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया गया. कठुआ में हिन्दू एकता मंच ने मोर्चा खोला है. लेकिन सासाराम को लेकरकोई बोलना नहीं चाहता ना ही मीडिया इसको उतना महत्व दे रही है. इसकी वजह क्या इतनी सी है कि बिहार की वह मासूम हिन्दू है और आरोपी मुस्लिम.
राहुल गाँधी से लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियों के नेता कठुआ पर रैलियां निकाल रहे है लेकिन बिहार के सासाराम की मासूम बच्ची शायद उन्हें नहीं दिखती, इसकी वजह क्या बस इतनी सी है कि वह हिन्दू है.राहुल जी अपराध को अपराध की तरह देखिये ना की उसे धर्म का चश्मा लगाकर. राहुल गाँधी को छोड़ भी दिया जाये तो बाकी समाज के बुद्धजीवी भी केवल कठुआ पर ही बोलना चाहते है, उनको सासाराम की वह 6 साल की मासूम याद नहीं आती है. कठुआ की मासूम के लिए तो सभी खड़े हुए है पर क्या कोई सासाराम की मासूम के लिए भी खड़ा हो पायेगा. अपराध को धर्म के आईने की बजाय अपराध की तरह देखने की जरूरत है.