मूल समस्या छोड़ सियासी रोटियां सेकने का अड्डा बना बीएचयू

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जाना तो अपने खुले विचारों के लिए जाता है लेकिन इन दिनों चर्चा का कारण कुछ और है. विद्यालय परिसर पूरी तरह से छावनी में तब्दील है. 1200 छात्रों पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है और लगभग सारे होस्टल खाली हो चुके है. मामले की शुरुवात हुई थी लड़कियों की छेड़खानी से जिसने इतना उग्र रूप ले लिया. छात्रों की तरफ से पत्थर और पेट्रोल बम फेके गए तो सवाल भी उठा आखिर यह सब आया कहा से, लिहाजा पुलिस ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी और लाठी के बल पर आन्दोलन को ख़त्म करा दिया. बस पुलिस के लाठी उठाने की देरी थी कि अलग- अलग पार्टियों के नेता पहुँचने लगे अपनी रोटियां सेकने क्योकि उनको इसमें अपना भविष्य दिख रह था.

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मामला इतना बढ़ा तो सरकार की भी नींद टूटी और उसने कैंपस में लाठीचार्ज को लेकर दोषी मानते हुए लंका थाने के इंचार्ज साथ भेलूपुर के सीओ और एक सिटी मजिस्ट्रेट को हटा दिया. तो अगर वही बात करे बीएचयू के कुलपति की तो उनका कहना है कि यह सब बाहरी तत्वों के द्वारा साजिश के तहत किया गया जिससे विश्वविद्यालय को बदनाम किया जा सके. तो VC साहब ने सारा दोष बाहरी छात्रों पर डालकर अपना पल्ला झाड़ लिया. सियासी रोटी सेकने में कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी कोई पीछे नहीं रहा. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर हो यह समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता हर कोई अपना फायदा देखने में लगा था. अब इतनी बड़ी घटना हो जाये और ट्वीट न हो ऐसा कैसे हो सकता है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव तक ने ट्वीट कर निंदा कर डाली. इस शोर शराबे में मूल मुद्दा दम तोड़ता ही दिखाई दिया.

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