भाजपा नेताओं का कोतवाली में जमकर बवाल, 6 पुलिस वाले सस्पेंड

बस्ती जिले में बीजेपी नेताओं के गुट द्वारा छात्र नेता को जबरन थाने से छुड़ाए जाने को लेकर छह सब इंस्पेक्टर सस्पेंड कर दिए गए है तो 14 नेताओं के खिलाफ सरकारी कार्य मे दखल डालने सहित विभिन्न धाराओं में केस दर्ज हुआ है। मामला जिले के कोतवाली से जुड़ा है जहां कालेज के छात्र नेता को शांति भंग के आरोप में पुलिस ने हिरासत में रखा था। योगीराज में एक बार फिर समाजवादी सरकार का अक्स दिखा है जिसमे सत्ताधारी नेताओं ने थाने में घुसकर बवाल काटा है। मामला एपीएन पीजी कालेज से जुड़ा है जहां शनिवार दोपहर कालेज में हंगामें के बाद हिरासत में लिए गए छात्र नेता कबीर तिवारी को छुड़ाने के लिए भाजपा के कुछ नेता कोतवाली पहुंच गए जहां आरोपी नेता आदित्य तिवारी को छुड़ाने में जमकर बवाल काट दिया।

basti bjp leader bawal

छात्र नेता को छुड़ाने के लिए इन नेताओं का साथ दिया सैकड़ों उपद्रवी छात्रों ने और कोतवाली में धावा बोलकर पकड़े गए छात्रों को छुड़ा ले गए। इस दौरान कोतवाली परिसर में मौजूद कालेज के प्रिंसिपल असलम सिद्दीकी और पुलिस से भी उपद्रवियों ने हाथापाई करते हुए जमकर तोड़फोड़ कर दी। कोतवाली में छात्रों के उपद्रव की सूचना पर एसपी समेत भारी पुलिस बल मौके पर पहुंच गई लेकिन तब तक उपद्रवी छात्र नेता को पुलिस की अभिरक्षा से लेकर फरार हो चुके थे। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी। छात्रों के संभावित ठिकानों पर पुलिस ने छापेमारी  कर मुख्य अभियुक्त आदित्य को दुबारा हिरासत में ले लिया।

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एसपी संकल्प शर्मा ने बताया कि घटना के बाद कोतवाली में मौजूद 6 दरोगा को सस्पेण्ड कर दिया साथ ही 14 नामजद व 60 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। कालेज के प्रिंसिपल असलम सिद्दीकी का आरोप है कि पूर्व छात्र नेता आदित्य नारायण उर्फ कबीर तिवारी कुछ लोगों का एलएलबी में प्रवेश के लिए नाजायज दबाव बनाने लगा, जब गलत तरीके से प्रवेश के लिए मना किया गया तो आरोपित छात्र नेता भडक गए और कालेज स्टाफ को बंधक बनाकर गेट पर ताला जड़ दिया।

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इसके बाद पहुंची पुलिस ने पूर्व छात्र नेता आदित्य नाराण तिवारी और एक बाहरी युवक आलोक शुक्ला को कोतवाली पुलिस पकड़ लाई और कालेज के प्रिंसिपल समेत स्टाफ को थाने पर बुला लिया। इस दौरान उपद्रवियों ने कोतवाली परिसर में मौजूद प्रिंसिपल असलम सिद्दीकी, चीफ प्रोक्टर राजेंद्र और चपरासी से भी मारपीट की। जब आरोपी सिपाही की गिरफ़्तारी को लेकर हमने तो एसएचओ साहब ने जानकारी होने से इंकार कर दिया और जब हमने इस बारे में थाने पर संपर्क किया तो वहां से जानकारी देने की बात से मना कर दिया गया. सूत्रों की माने तो मामला भाजपा सांसद से जुड़ा हुआ है इसलिए पुलिस इसमें किसी पर भी हाथ डालने से बच रही है. तो सवाल यही से शुरू होता है क्या योगीराज में भी प्रदेश में गुंडाराज जारी रहेगा.

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