किस जुर्म की सजा मिली दिव्यांगों को…?
बलिया। करेक्टिव सर्जरी का फालोअप कराने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे दिव्यांग मरीज पूरे दिन तड़फड़ाते रहे, लेकिन उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं था। 06 से 08 फरवरी के बीच जिले के करीब 72 मरीजों की करेक्टिव सर्जरी दिल्ली से आई चिकित्सकों की टीम ने की थी। 19 फरवरी को इन सभी दिव्यांग मरीजों को फालोअप के लिए बुलाया गया था। जिला विकलांग जन विकास विभाग ने दिल्ली से चिकित्सकों के आने का हवाला देते हुए ऐसे मरीजों को जिला अस्पताल में उपस्थित रहने की सूचना दिए थे। ऐसे में सूचना के बाद जिले के कोने-कोने से सर्जरी वाले मरीज सुबह ही पहुंच गए। इस दौरान जब वह अस्पताल पहुंचे तो चिकित्सकों के बारे में कुछ भी पता नहीं चला।
दिव्यांग मरीजों के परिजन इधर से उधर घूम कर चिकित्सकों के बारे में पूछते रहे लेकिन कहीं से जानकारी नहीं मिली। हालात थे कि थक-हार कर मरीज अस्पताल परिसर में बैठे रहे पर कोई उनको पूछने वाला तक नहीं था। स्थिति रही कि दोपहर तक जिला विकलांग जन विकास विभाग से भी कोई नहीं पहुंच सका था। ऐसे में दिव्यांग मरीज पूरे दिन हलकान होते रहे लेकिन उनको कहीं से राहत नहीं मिली। अस्पताल के लोग भी इनमें कोई रुचि नहीं ले रहे थे जिससे करीब 50 के संख्या में पहुंचे मरीज भूखे-प्यासे पूरे दिन चिकित्सकों की राह ताकते रह गए। मानवता को तार-तार करने वाले इस तरह के कृत्य को लेकर आम लोग भी अस्पताल प्रशासन व विकलांग विभाग को कोसते रहे।
दिव्यांग मरीजों के परिजन इधर से उधर घूम कर चिकित्सकों के बारे में पूछते रहे लेकिन कहीं से जानकारी नहीं मिली। हालात थे कि थक-हार कर मरीज अस्पताल परिसर में बैठे रहे पर कोई उनको पूछने वाला तक नहीं था। स्थिति रही कि दोपहर तक जिला विकलांग जन विकास विभाग से भी कोई नहीं पहुंच सका था। ऐसे में दिव्यांग मरीज पूरे दिन हलकान होते रहे लेकिन उनको कहीं से राहत नहीं मिली। अस्पताल के लोग भी इनमें कोई रुचि नहीं ले रहे थे जिससे करीब 50 के संख्या में पहुंचे मरीज भूखे-प्यासे पूरे दिन चिकित्सकों की राह ताकते रह गए। मानवता को तार-तार करने वाले इस तरह के कृत्य को लेकर आम लोग भी अस्पताल प्रशासन व विकलांग विभाग को कोसते रहे।
Report- Radheyshyam Pathak