यूपी के मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल मनोज सिन्हा का यह रहा राजनीतिक सफर




manoj sinha

विधानसभा चुनाव 2017 का परिणाम आने और भाजपा की प्रचंड जीत के बाद सूबे के नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। गाजीपुर के सांसद और केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का नाम भी मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदारों के रूप में लिया जा रहा है। ऐसे में गाजीपुर जनपद के मोहम्मदाबाद तहसील के मोहनपुरा गांव के साधारण परिवार के मनोज सिन्हा के छात्र संघ अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय मंत्री तक पहुंचने के सफर को उनके परिजन स्कूली दिनों के मित्र, और उनके गांव मोहनपुरा के लोग कैसे याद करते है। ऐसे में हमने मनोज सिन्हा के राजनीतिक जीवन और उसमें आये उतार चढ़ाव का जायजा लिया । गाजीपुर सिटी स्टेशन से पूर्वी छोर पर बसे छोटे से गांव को जाता यह रास्ता उस गांव को जाता है जो अब परिचय का मोहताज नहीं है। पिछले लोक सभा में इस गांव के रहने वाले मनोज सिन्हा ने न सिर्फ लोकसभा चुनाव के चक्रव्यूह को भेदते हुए जीत हासिल की बल्कि नरेन्द्र मोदी के विश्वसनीय होने के कारण दो महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी भी हासिल की।



मोहनपुरा गांव के बीचो बीच खपरैल का यह घर मनोज सिन्हा का पुस्तैनी घर है कभी इसी घर के आंगन में मनोज सिन्हा ने अपने तीन भाईयों के साथ खेलते कुदते अपना बचपन बीताया होगा।  घर के चंद कदमों की दूरी पर ही स्थित प्राथमिक विद्यालय से मनोज सिन्हा ने शिक्षा प्राप्त कर गांव के ही इंटर कॉलेज तक दसवी कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की। गणित और विज्ञान के विषयों में उत्कृष्ट प्रर्दशन के आधार पर जनपद के राजकीय सिटी इंटर कॉलेज में इंटरमीडिएट ( विज्ञान) में दाखिला लिया। मनोज सिन्हा के स्कूली दिनों के साथी उमाशंकर गुप्ता बचपन के दिनों को याद करते हुए बताते है कि, “सिटी इंटर कॉलेज में आईएससी के पहले वर्ष में ही बीएचपी के संपर्क में आए और उसके कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे।“ स्कूली दिनों में बीएचपी के संपर्क में आने के बाद मनोज सिन्हा के दिलों दिमाग में राजनीतिक महत्वकांक्षा ने घर कर लिया। इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रमथ श्रेणी पास होने के बाद घर वालों के सलाह पर बीटेक की पढ़ाई करने मकसद से इंस्ट्यूट ऑफ टेकनॉलजी में छात्र रहे मनोज सिन्हा ने छात्र राजनीत में अपना पांव रखा और आगे चल कर बीएचयू छात्र संघ के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए। छात्र संघ अध्यक्ष रहते हुए मनोज सिन्हा को कई सरकारी विभागों से नौकरी का ऑफर मिलता रहा लेकिन उन अवसरों को दरकिनार करते हुए मनोज सिन्हा ने राजनीत को ही अपना करियर बनाने का संकल्प कर लिया था।



निरंतर राजनीतिक गतिविधियों में अहम भूमिका अदा करने का ही नतीजा था कि मनोज सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए। सन 1996 तक राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहने के साथ ही 1996 के लोकसभा चुनाव में पहली बार विजय हासिल की और गाजीपुर से सांसद चुने गए। मनोज सिन्हा को 1999 के लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल हुई। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद बनी बीजेपी सरकार मनोज सिन्हा को दो महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री के तरफ से दी गई। ऐसा नहीं है कि मनोज सिन्हा के लिए राजनीतिक सफर फुलों का सेज रहा हो। ढाई दसक के राजनीतिक करियर में मनोज सिन्हा को कई बार हार का भी सामना करना पड़ा। बदलते राजनीतिक परिदृष्य में, विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले पूर्ण बहुमत के बाद अब मनोज सिन्हा के मुख्यमंत्री बनने की बात भी सियासी हलके में मुखर हो रही है। ऐसे में विकास के क्रम में पीछे रह गए पूर्वांचल के लोगों को भी एक उम्मीद की किरण दिख रही है कि जिसतरह मनोज सिन्हा ने गाजीपुर में रेल नेटवर्क को व्यापक कर गाजीपुर को कई सौगात दिए है वैसे ही मनोज सिन्हा का मुख्यमंत्री बनना पूर्वांचल के समग्र विकास के प्रस्थान विन्दु के तौर पर देखा जा सकता है।

 

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