जानिये नालंदा का इतिहास और उससे भूटान प्रिंस का रिश्ता ..
आज खंडहर में तब्दील हो चुकी बिहार की नालंदा विश्वविद्यालय कभी दुनिया भर के लिए ज्ञान का केंद्र मानी जाती थी । 450 ई0 में बने इस ज्ञान केंद्र में बौद्ध और अन्य विषयों की शिक्षा दी जाती थी । जिसके लिए लगभग 1000 शिक्षक थे । दुनिया भर के लोग शिक्षा ग्रहण करने यंहा आया करते थे ।लेकिन खिलजी वंश में बख्तियार खिलजी ने इसको तहस नहस कर डाला था । उस समय से नालंदा के खंडहरों को दिखा कर महज बताया जाता रहा है कि कभी यह ज्ञान का केंद्र हुआ करता था । अब 824 साल बाद भूटान के 3 वर्षीय प्रिंस ट्रूएक बागचूंग ने दावा किया है कि वह इसी नालन्दा विश्वविद्यालय का छात्र और प्रोफ़ेसर बेरोचना है । यंहा के शिक्षाविद प्रमोद कुमार की माने तो उस समय के प्रोफ़ेसर बेरोचना थे जो नालंदा में ही पढ़े थे और वंही प्रोफ़ेसर हो गए थे । 824 साल बाद बेरोचना ने अगर प्रिंस भूटान के रूप में अवतार लिया है यह नालंदा के लिए बरदान और सौभाग्य जैसा है । इस पुनर्जन्म को लेकर भूटान से लेकर बिहार तक चर्चाओ का बाजार गर्म है ।