अयोध्या में मंदिर -मस्जिद रार , हर कोई बना सुलह का ठेकेदार




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अयोध्या में मंदिर -मस्जिद के लिए  प्रभुत्व के जंग बढ़ गयी है  । जी हां मंदिर मस्जिद पक्षकारों को आपस में हल निकालने की सुप्रीमकोर्ट की सलाह के बाद जब एक न्यूज़ चैनल ने हनुमानगढ़ी के महंत ज्ञानदास , निर्मोही अखाड़ा के रामदास , और हाशिम अंसारी की मृत्यु के बाद बाबरी मस्जिद के पक्षकार बने इकबाल अंसारी के साथ बातचीत की पहल कराई तो उसके बाद मंदिर -मस्जिद के पक्षकारों में प्रभुत्व को लेकर नई जंग शुरू हो गई है । हर कोई कह रहा है कि वही सबसे अहम है और बाकी प्रक्षकार गौण है।  अगर उससे बातचीत की जाय तो इस मुद्दे का हल निकल आएगा । मुख्यमंत्री योगी के पीए से मुलाक़ात की इच्छा जताने को लेकर चर्चा में आये धर्मदास कहते है वही सबसे मुख्य पक्षकार है और बाकी बाराती है जो केवल बारात की शोभा बढ़ा रहे है । लिहाजा उनसे और हाजी महबूब से ही बात होनी चाहिए । यही नहीं वह यह दावा भी करते है कि उनकी और हाजी महबूब से बात हो चुकी है ।




पूरे अधिग्रहित परिसर में केवल और केवल राम मंदिर बनेगा । मस्जिद कहाँ बनेगी यह बाद में तय होगा । इस पर निर्वाणी अनी अखाड़ा से जुड़े और राम मंदिर के पक्षकार धर्मदास कुछ यूँ कहते है,  हमारा कहना है की 1949 में जो मूल पक्षकार मोहम्मद फेकू थे ।उनके उत्तराधिकारी हाजी महबूब है । उनसे और बाबा अभिराम दास जो मूर्ति पधारने वाले प्रकट करने वाले उनके उत्तराधिकारी हम हैं धर्मदास । इन्हीं के बीच में बात होगी ।अगर कोई भी पक्ष कार कहता है कि हम हैं हमको पंचायत में नहीं बुलाया जा रहा है तो पंचायत लगा सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में अपनी एप्लीकेशन दे कि हम को भी सुना जाए । अगर हमसे बात करना चाहते हैं तो उसके लिए भी हम तैयार है । कोई पक्ष कार हो तो हम किसी को पक्ष कार नहीं मानते ।इसीलिए अनदर पार्टी कहते हैं जो भी पार्टी बने हैं 1949 के बाद उसको हम अनदर पार्टी कहते हैं। यह बराती है बाजा बजाने वाले हैं इनका कोई मतलब नहीं है मुख्य सुलह हाजी महबूब और बाबा धर्मदास के बीच ही होगी ।  वंही बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब कहते है कि मुख्य तो मैं खुद हूँ यानि हाजी महबूब , हमसे अगर मुख्यमंत्री बात करते है तो इसका हल निकल आएगा ।




Truthstoday से बात करते हुए हाजी महबूब ने कहा देखिए अगर सही मायने में अगर देखा जाए आंन पेपर तो किसी की जरूरत नहीं है और हम जो हमारे दिमाग में है उसी पर बात करूंगा , अगर मुख्यमंत्री जी उस पर सहमत है तो किसी की जरूरत नहीं है । हल हो जाएगा |  वंही हाशिम अंसारी के बाद पक्षकार बने उनके पुत्र इकबाल अंसारी कहते है कि सबसे मुख्य पक्षकार तो उनके पिता हाशिम थे और अब उनकी जगह वह है , दूसरा पक्ष निर्मोही अखाड़ा है बिना हम लोगो से बात किये कोई हल निकल ही नहीं सकता । लिहाजा उनके और निर्मोही अखाड़ा को साथ लेकर अन्य पक्षकारों और और विद्वान् लोगो व अधिवक्ताओं से एक साथ बात की जाय तो इस मसले जा हल निकलेगा ।  इकबाल अंसारी इसपर कहते है अगर इन दोनों लोगों को बुलाया है तो इनकी जगह पर हमारे वालिद साहब हाशिम अंसारी साहब वह मुद्दई है,  तो ऐसी स्थिति में हम को भी मालूम होना चाहिए।  हमसे भी बात होनी चाहिए।  इसके मुख्य पक्षकार मोहम्मद इकबाल अंसारी और निर्मोही अखाड़ा है जब तक इन दोनों लोगों से बात नहीं होगी तब तक यह बात पूरी कैसे होगी । सुलह-समझौते जी पहल को हम लोग बरकरार रखते हुए महंत ज्ञानदास जी से बात हुई और सभी पक्षों को बुलाया जाए बुद्ध जीवी को बुलाया जाए और अधिवक्ताओं को बुलाया जाए और जो पक्षकार हैं मुख्य मुख्य उन को बुलाया जाए और आपस में बैठकर एक बड़ी पहल ज्ञानदास में शुरू किया है और इस को आगे बढ़ाने की वह कोशिश कर रहे हैं । इसी तरीके से रास्ता निकलेगा । उम्मीद है । अगर महंत ज्ञान दास जी साधु संत को बुलाएंगे मौलवी मौलाना को बुलाएंगे अधिवक्ता को बुलाएंगे कुछ बुद्धिजीवी को बुलाएंगे आपस में मिल बैठकर या पहल शुरू की है और आगे भी यह जरूरी है हो सकता है इस से कोई रास्ता निकल आए|




. जबकि निर्मोही अखाड़े के रामदास कहते है मुख्य पक्षकार केवल निर्मोही अखाड़ा , सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड और बिराजमान रामलला है ।  लिहाजा इनसे बात की जाय तो इस मामले का हल निकल सकता है । राममंदिर जे मुख्य पक्षकार निर्मोही अखाड़ा के भास्कर दास के उत्तराधिकारी रामदास कहते है जो मुख्य रूप से टाइटल सूट है जो हाईकोर्ट में 30 सितंबर 2010 को फैसला आया था और उसी के खिलाफ हम लोग सुप्रीम कोर्ट गए थे क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने पहल किया है तो इसलिए उसका स्वागत है और इन्हीं तीन पार्टियों के बीच में सुलह होगा  कानूनन । विराजमान रामलला निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड इन्हीं तीनों के बीच ही सुलह की बात होगी ।  कोई भी पहल करता है तो उसका स्वागत है प्रधानमंत्री करते हैं,  मुख्यमंत्री करते हैं , जब देश के मुख्य न्यायाधीश ने ही पहल कर दी है तो अब कोई मतलब रही नहीं गया है। 
 

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