बलिया में गुरूजी आन्दोलन पर, चपरासी बना टीचर

प्रदेश में शिक्षामित्रों के आन्दोलन के बाद से सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल हो गया है. अब तो हालात यह आ गए है कि स्कूल का चपरासी ही टीचर बन गया है और बच्चों को पढ़ा रहा है. हम बात कर रहे है बलिया जिले के शिक्षा क्षेत्र गड़वार के प्राथमिक विद्यालय कोटवां की. इस स्कूल में 114 बच्चे पढ़ते है. जब से समायोजित शिक्षकों का आन्दोलन शुरू हुआ है तब से शिक्षा व्यस्था ध्वस्त हो गयी है क्योंकि जिनके कंधो पर बच्चो को पढ़ाने की जिम्मेदारी थी वह अब आन्दोलन की राह पर है. लिहाजा ऐसे हाल में पढ़ाई हो कैसे. यह हालात देखते हुए स्कूल के चपरासी रेशम पाण्डेय ने ही खुद बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी उठा ली. उनके द्वारा किया जा रहा यह काम प्रशंसा योग्य है. रेशम पाण्डेय उन शिक्षकों को आइना भी दिखाता है जो विद्यालय में पढ़ने के बजाय आन्दोलन कर रहे है.

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प्रदेश के शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द हो चुका है लेकिन सरकार इनको 10 हजार रुपये मानदेय देने को तैयार है. पर कहते है न जब पनीर खाने की आदत पड़ गयी तो दाल रोटी कहा अच्छी लगने वाली है. कुछ ऐसा ही हाल है शिक्षामित्रों का. कहां 40 हजार रुपये पाते थे और अब हाल यह है कि 10 हजार पर आ गए है तो भला आन्दोलन न करे तो क्या करे. फ़िलहाल हर कोई अपने आपको सही ठहरा रहा है तो साहब गलती उन बच्चों की है जो पढ़ने के लिए स्कूल आते है.

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