मुख्तार पर बयान देते ही बढ़ी माया की मुश्किल !
मुख्तार अंसारी को बेगुनाह बताना मायावती कि मुश्किल है बढ़ा सकता है बसपा में शामिल करने के साथ ही मायावती ने मऊ सदर से विधायक और यूपी के सबसे बड़े बाहुबली में शुमार मुख्तार अंसारी को बेगुनाह बताया था लेकिन अब मऊ सदर से भाजपा नेता और इस सीट से टिकट के दावेदार रहे मन्ना सिंह के भाई अशोक सिंह ने मायावती को कानूनी नोटिस थमा दिया है कहा यह भी जा रहा है की वह मुख्तार को बेगुनाह बताने का यह पूरा मामला चुनाव आयोग के सामने ले जाएंगे जहां वह मायावती के 26 जनवरी 2017 के उस बयान की रिकॉर्डिंग सौपेंगे जिसमें उन्होंने कहां था की मुख्तार अंसारी बेगुनाह है उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है उन्हें राजनीतिक दुश्मनी के चलते मुकदमों में फसाया गया है
सोमवार को हो सकती है शिकायत
अशोक सिंह से जुड़े सूत्रों की माने तो सोमवार को मायावती के खिलाफ दो अलग-अलग शिकायते हो सकती हैं। चुनाव आयोग के समक्ष होगी तो दूसरी कोर्ट की अवमानना का मुकदमा इलाहाबाद कोर्ट में हो सकता है। आपको बता दें कि मुख्तार अंसारी को निर्दोष बताने के मामले में पहले भी कोर्ट मायावती को चेतावनी दे चुकी है और साफ-साफ कर चुकी है की वह न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने जैसी कोई बयान बाजी दोबारा न करें।
यह था मामला
कानूनी जानकार बताते हैं की कृष्णानंद राय हत्याकांड में यूपी की मुख्यमंत्री रहते मायावती ने मुख्तार अंसारी को निर्दोष बताया था । इसके खिलाफ कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने अवमानना का मुकदमा 2009 में दर्ज कराया था । इस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मायावती को कड़ी चेतावनी दी थी और साफ साफ कहां था कि वह न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने जैसी बयान बाजी ना करें।
यह था कृष्णानंद हत्याकांड
आपको बता दें कि भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और उनके छह साथियों की स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग कर हत्या कर दी गई थी। यह घटना 29 नवंबर 2005 की है । इस घटना में मुख्तार अंसारी उनके भाई अफजाल अंसारी , कुख्यात शूटर मुन्ना बजरंगी , संजीव महेश्वरी उर्फ डॉक्टर उर्फ जीवा, फिरदौस, अता हर रहमान आदि लोगो के खिलाफ कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने नामजद मुकदमा दर्ज कराया था ।
ऐसे बढ़ सकती है माया की मुश्किल
कानून के विद्वान कहते हैं कि मुख्तार अंसारी जैसे शख्स को बेगुनाह बताना मायावती के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है । एक तरफ जहां चुनाव आयोग में उनके इस बयान को खास संप्रदाय के लोगों के मतों को प्रभावित करने वाला बताया जा सकता है तो दूसरी तरफ इलाहाबाद कोर्ट में कोर्ट के अवमानना का मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के डबल बेंच के उस निर्णय को भी प्रस्तुत किया जा सकता है जिसमें मुख्तार अंसारी पर ही मुख्यमंत्री रहते मायावती के बयान पर नाराजगी जताई गई थी और उन्हें कानूनी प्रक्रिया में हस्तक्षेप ना करने का आदेश दिया गया था। लिहाजा अब दुबारा मायावती के वैसे ही बयान को आधार बनाकर दलील प्रस्तुत की जा सकती है , जिससे मायावती के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं ।