सपा को झटका! मुस्लिम उलेमा काउन्सिल बीएसपी को देगी समर्थन
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है | राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने लखनऊ में मुसलमानों के वोट न बंटने देने का हवाला देकर बसपा को अपना समर्थन देने का फैसला किया है। राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना रश्दी ने इसके साथ अपने सभी 84 प्रत्याशियों को हटाने का एलान किया। इस दौरान बसपा महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी मौजूद रहे। उत्तर प्रदेश की राजनीति जाति और धर्म के सहारे ही चलती आई है | अगर समाजवादी पार्टी को मुसलमानों का वोट नहीं मिलता है तो उसका उत्तर प्रदेश को फतह करना टेढ़ी खीर साबित होगी | उत्तर प्रदेश चुनाव में करो या मरो भाव से हर दांव आजमा रही बहुजन समाज पार्टी मुसलमानों के वोटों का बंटवारा रोकने के लिए हर मशक्कत कर रही है। पार्टी ने चुनाव में सर्वाधिक 102 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। कई मुस्लिम धार्मिक संगठन बसपा को समर्थन देने की घोषणा भी कर चुके हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी को विशेष रूप से इस मुहिम में लगाया गया है।
तमाम कोशिशों के बाद अब बसपा ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल का समर्थन जुटाने में सफलता पाई है। तय हुआ है कि काउंसिल विधानसभा चुनावों में बसपा को समर्थन देगी। इसके पीछे मुसलमानों का वोट न बंटने देने और कांग्रेस को किसी भी हाल में सत्ता में न आने देने का तर्क दिया जा रहा है। प्रदेशव्यापी प्रभाव प्रस्थापित करने के लिए ही पूर्वांचल में गहरी पैठ रखने वाली उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना आमिर रश्दी और बसपा महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मिलकर इसका एलान किया। मौलाना सलमान रश्दी अध्यक्ष उलेमा काउन्सिल ने कहाँ जो अपने पिता का ना हुआ वो किसी और का क्या होगा | अपने 84 उम्मीदवारों को बैठा लेंगे। सांप्रदायिक ताकतों को रोकना है, फिरकापरस्त और परिवारवाद से प्रदेश को बचाना है, हम यूपी में 84 सीटों पर लड़ रहे थे, लेकिन हमें लगा कि मुस्लिम, शोषित और वंचित वोटों को बिखरने से रोकना होगा। प्रदेश में दंगे नहीं हुए, लेकिन इस सरकार में दंगों की बाढ़ आ गयी। मुलायम खुद कह चुके हैं कि अखिलेश मुसलमान विरोधी हैं, जो अपने बाप का ना हुआ वो किसी और का क्या होगा। रश्दी ने इमरान प्रतापगढ़ी के शेर का जिक्र करते हुए कहा वह संवर सैफई हो गए हम बिखर कर मुजफ्फरनगर हो गए।
Report- Satyam Mishra