बरसाना में साधुओं का यह रूप देख कर हो जाएंगे हैरान
बरसाना में कान्हा और राधा के प्यार के प्रतीक लठामार होली में साधुओं का मस्ती करते हुए रूप देख कर हर कोई हैरानी और भक्ती भाव से प्रफुल्ल हो जाता है। यहाँ दूर दराज से आये हुए साधू संत एक दुसरे के साथ होली खेलते नजर आ रहे हैं।साधुओं को हुल्लड़ के साथ होली खेलते देख हर कोई कान्हा की लीलाओं की जय करता नजर आया। बरसाना में इस समय पूरे भारत से श्रद्धालु आ रहे हैं। कान्हा की नगरी में आने वाला हर भक्त बस कान्हा के रंग में रंग जाता है चाहे वो साधू हो या संत।
ब्रज में चल रहे चालीस दिनी होलीउत्सव के अंतिम सात चरम के दिनों में बरसाना में अलग अलग प्रदेशों से आये साधू भी टोलियाँ बनाकर होली खेल रहे हैं। साधू टोली बनाकर दूसरी टोली के लोगों की ऊपर बच्चो की भांति रंग डाल रहे हैं। इस दौरान साधू होली है ! जैसे हुल्लड़ भरे वाक्य बोल रहे हैं। अलग अलग आश्रमो में आये हुए साधू दुसरे आश्रमो में जाकर होली खेल रहे हैं। साधू टेसू के रंग और गुलाल से होली खेल रहे हैं। एक साधू को कई कई पकड़ कर बच्चो की तरह रंग में भिगो रहे हैं। इन साधुओं को देखने के बाद हर कोई कृष्ण लीला में भाव विभोर हो रहा था।
ब्रज में चल रहे चालीस दिनी होलीउत्सव के अंतिम सात चरम के दिनों में बरसाना में अलग अलग प्रदेशों से आये साधू भी टोलियाँ बनाकर होली खेल रहे हैं। साधू टोली बनाकर दूसरी टोली के लोगों की ऊपर बच्चो की भांति रंग डाल रहे हैं। इस दौरान साधू होली है ! जैसे हुल्लड़ भरे वाक्य बोल रहे हैं। अलग अलग आश्रमो में आये हुए साधू दुसरे आश्रमो में जाकर होली खेल रहे हैं। साधू टेसू के रंग और गुलाल से होली खेल रहे हैं। एक साधू को कई कई पकड़ कर बच्चो की तरह रंग में भिगो रहे हैं। इन साधुओं को देखने के बाद हर कोई कृष्ण लीला में भाव विभोर हो रहा था।
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