एक वोट था जिसने बदल दी ‘दिशा’
बहुत से लोग वोट डालने केवल यह सोचकर नहीं जाते की उनके एक वोट से क्या फर्क पड़ेगा पर शायद उनको एक वोट की कीमत का अंदाज़ा नहीं है | उनको यह जानना चाहिए कि एक वोट से ही जीत और हार होती है | जीत-हार’ वो भी एक वोट से शायद ही किसी को यकीन हो, लेकिन यह सच है। इतिहास के पन्ने एक वोट की ताकत के किस्सों से भरे पड़े है |आइये हम बताते है एक वोट की कितनी ताकत है | एक वोट ने फ्रांस में लोकतांत्रिक सरकार का रास्ता प्रशस्त किया था । एक वोट के कारण ही जर्मनी, नाजी हिटलर के हवाले हो गया था । यह एक वोट ही था, जिसने 13 दिन में ही भाजपा की अटल बिहारी सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। एक वोट ने ही कभी अमेरिका की राजभाषा तक तय की थी। यदि एक वोट सरकार बदल सकती है, तो हमारी तकदीर क्यों नहीं? स्पष्ट है कि हमारे एक-एक वोट की कीमत है। हमें अपने मत के अधिकार का प्रयोग करते वक्त संजीदा रहना चाहिए |
यह सच है कि बीते एक दशक में चुनाव को कम खर्चीला बनाने में निर्वाचन आयोग ने शानदार भूमिका निभाई है, किंतु लोभमुक्त और भयमुक्त मतदान कराने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। हमारा इलेक्शन कमीशन बहुत मेहनत और निष्पक्ष रूप से चुनाव करवाता है। पर हममें से कुछ लोग ही अपने निजी स्वार्थ के लिए सही-गलत के पैमाने से आगे बढ़ जाते हैं। आपको पता है कि इस देश के लिए उसका एक-एक वोटर बहुत मायने रखता है। इस बात की पुष्टि इस बात से हो जाती है कि भारत के दूर-दराज इलाकों में भी चुनाव आयोग उसी तरह से चुनाव प्रक्रिया को अंजाम देता है, जैसे भारत की राजधानी एवं अन्य बड़े शहरों में। ऐसे में हमारा भी कर्त्तव्य है कि एक मतदाता के रुप में लोकतंत्र को और सशक्त बनाने में सहभागिता निभायें। आज हम भले ही आसमां पर दुनिया बनाने का विचार कर रहे हों, लेकिन उसका एक पहलू यह भी है कि 70 वर्षीय लोकतंत्र को आज भी न सिर्फ जागने की जुगत लगायी जा रही, बल्कि शासन-प्रशासन को अथक प्रयास करना पड़ रहा है। स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे ‘मानव श्रृंखलाएं’ बनाकर हमें वोट देने जाने के प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। यह न सिर्फ सोचनीय है अपितु हास्यास्पद भी। बहरहाल, अच्छा है कि हमने जागना शुरु कर दिया है। थोड़ा और जागें। वोट से और आगे बढें। इस बात से शायद आपको अंदाजा हो गया होगा कि इस देश के लिए आप और हम कितना मायने रखते हैं। हमारा एक वोट इस देश की दिशा और दशा तय करता है। लोकतंत्र में मतदान का दिन आप का दिन है। और हमें पूरी उम्मीद है कि ये जानने के बाद कि आप इस देश के लिए कितने महवपूर्ण हैं, आगामी चुनावों में आप वोट करने जरूर जाएंगे।
यह सच है कि बीते एक दशक में चुनाव को कम खर्चीला बनाने में निर्वाचन आयोग ने शानदार भूमिका निभाई है, किंतु लोभमुक्त और भयमुक्त मतदान कराने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। हमारा इलेक्शन कमीशन बहुत मेहनत और निष्पक्ष रूप से चुनाव करवाता है। पर हममें से कुछ लोग ही अपने निजी स्वार्थ के लिए सही-गलत के पैमाने से आगे बढ़ जाते हैं। आपको पता है कि इस देश के लिए उसका एक-एक वोटर बहुत मायने रखता है। इस बात की पुष्टि इस बात से हो जाती है कि भारत के दूर-दराज इलाकों में भी चुनाव आयोग उसी तरह से चुनाव प्रक्रिया को अंजाम देता है, जैसे भारत की राजधानी एवं अन्य बड़े शहरों में। ऐसे में हमारा भी कर्त्तव्य है कि एक मतदाता के रुप में लोकतंत्र को और सशक्त बनाने में सहभागिता निभायें। आज हम भले ही आसमां पर दुनिया बनाने का विचार कर रहे हों, लेकिन उसका एक पहलू यह भी है कि 70 वर्षीय लोकतंत्र को आज भी न सिर्फ जागने की जुगत लगायी जा रही, बल्कि शासन-प्रशासन को अथक प्रयास करना पड़ रहा है। स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे ‘मानव श्रृंखलाएं’ बनाकर हमें वोट देने जाने के प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। यह न सिर्फ सोचनीय है अपितु हास्यास्पद भी। बहरहाल, अच्छा है कि हमने जागना शुरु कर दिया है। थोड़ा और जागें। वोट से और आगे बढें। इस बात से शायद आपको अंदाजा हो गया होगा कि इस देश के लिए आप और हम कितना मायने रखते हैं। हमारा एक वोट इस देश की दिशा और दशा तय करता है। लोकतंत्र में मतदान का दिन आप का दिन है। और हमें पूरी उम्मीद है कि ये जानने के बाद कि आप इस देश के लिए कितने महवपूर्ण हैं, आगामी चुनावों में आप वोट करने जरूर जाएंगे।
Report- Radheyshyam Pathak