यूपी की वह जगह जो बन गया है किसानो की कब्रगाह




farmer suicide
केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार सभी बुंदेलखंड के किसानों पर सियासत तो करते है लेकिन किसानों की समस्याओं पर समाधान कोई नही करता शायद यही बजह है कि एक के बाद एक किसान असमय काल के गत  में समा रहा है । महोबा जिले में एक और किसान की बैंक के नोटिस मिलने के बाद सदमे से मौत हो गयी ।  बुंदेलखंड में किसानों की हमदर्द बनकर आयी बैंको ने  किसानों को जमकर कर्ज बांटा और एक के बाद एक किसान इस कर्ज के बोझ के तले  दबता चला गया । किसानों ने यही सोचकर कर्ज लिया की फसल आएगी को बैंक का कर्ज अदा कर देंगे लेकिन मौसम दगा दे गया को किसानों की फसलें दर साल खराब होती गयी और किसान बैंक का कर्ज नही चुका   सका और इसके नतीजन बैंक अपना कर्ज बसूलने के लिए किसानो को नोटिस दी | जिसके चलते महोबा जिले के बिलबई गांव के रहने बाले किसान जगदीश की सदमे से मौत हो गयी | जगदीश के पास 32  बीघा खेती थी। जिसमें फसल बुआई कर वह परिवार का हंसी खुशी भरण पोषण करता था। लेकिन वर्ष 2005 से पड़े सूखे और इसके बाद अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से फसल साल दर साल बर्बाद हो गई तो वह टूट गया।




खेतों में बेबसी की धूल उड़ती देख परिवार का पालन पोषण मुश्किल हुआ तो उसने बैंकों से कर्ज ले लिया। परिजनों ने बताया कि जगदीश के ऊपर एसबीआई से तीन लाख, इलाहाबाद बैंक से चार व पीएनबी का दो लाख रुपया, कुल नौ लाख रुपये का कर्ज था। कर्ज चुकाने को लेकर वह परेशान रहता था। इसलिए वह अपने परिवार सहित गाजियाबाद में रोजी रोटी की तलाश में चला गया। कुछ दिन पहले उसके नाम एसबीआई बैंक  ने आरसी जारी की। जिसकी सूचना गाजियाबाद में रह रहे जगदीश को  दी गयी  तो उसकी हालत अचानक बिगड़ने लगी। परिजनों ने गाजियाबाद के अस्पताल में ही उसे भर्ती कराया और वहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। घटना से परिजनों में खासा कोहराम मचा है। मृतक किसान का बेटा पुष्पेन्द्र हमें जब अपनी आपबीती बता रहा था तो उसकी आँखों से आंसुओ की मानो बरसात सी हो रही थी |

क्या कहते है जिम्मेदार लोग

सदमे से किसान की मौत की खवर मृतक के घर  पहुँचे तहसीलदार ने अपने स्टाफ के साथ किसान की मौत की जाँच शुरू कर दी है | और बताया की मृतक किसान जगदीश की मौत के कारणों की जाँच की जा  रही है इसके बाद आगे की कार्यबाही की जाएगी  लेकिन सच यह है कि सरकारें भले ही अन्नदाताओं के हितों और उन्हें लाभ देने की बात करे पर आपदा के जख्मों से जूझ रहे किसानों की मुसीबतें कम नही हो रही हैं और किसान  कर्ज और मर्ज के फेर में फंसकर  काल के गत  में समां रहे है | आखिर कब किसानों की तकलीफे दूर होगी कब बुंदेलखंड का किसान खुशहाल होगा यह तो आने बाला बक्त ही बताएगा|

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