मोदी के संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगा आशाराम का बेटा नारायण साईं

asharam son narayan sai fight election from narendra modi constituency
आशाराम बापू का बेटा नारायण साईं नारायण साई अब नरेंद्र मोदी की संसदीय क्षेत्र वाराणसी की विधानसभा शिवपुरी से चुनाव लड़ेगा । जबकि उनकी “ओजस्वी पार्टी” उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव लड़ेगी । पार्टी के पदाधिकारियो का कहना है की अगर नारायण साई को जमानत नहीं मिली तो वो जेल से ही चुनाव लड़ेंगे।
तीन साल से अधिक समय से यौन उत्पीड़न के आरोप में सूरत के लाजपोर सेंट्रल जेल में कैद नारायण सांई की ‘ओजस्‍वी पार्टी’ यूपी 150 विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ेगी। पार्टी प्रदेश सचिव धर्मेंद्र सिंह ने बताया की नारायण साईं का शिवपुर विधानसभा से चुनाव लड़ना तय है। नारायण साईं ने 2013 में दिल्‍ली चुनाव के पहले अपनी पार्टी बनाई थी। इसके अलावा मऊ, गोरखपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर, जौनपुर, भदोही समेत कई जिलों से प्रत्‍याशी होंगे। यूपी में विकास और भ्रष्टाचार के मुद्दे रहेंगे।
  नारायण साई साहिबाबाद और वाराणसी की शिवपुरी सीट से चुनाव लड़ना चाहता है। और जिसकी तैयारियों में पार्टी जुटी हुई है पार्टी का ये भी कहना है की पार्टी भाजपा ये कोंग्रेस किसी से गठबंधन नहीं करने वाली है और सिर्फ यही चुनाव नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव भी आने वाले दिनों में वो लड़ेंगी। फिलहाल नारायण साई की कोर्ट में 21 जनवरी को तारीख है और हम उनकी जमानत की कोशिश कर रहे है जमानत अगर न भी हुई तो वो जेल से ही चुनाव लड़ेंगे।
बहरहाल ओजस्वी पार्टी के चुनाव मैदान में उतारकर अपने राष्ट्रिय अध्यक्ष को एक बार फिर देश के सामने सुर्खियों में लाना चाहती है ।अब सवाल यह है कि नारायण साईं ने चुनाव लड़ने के लिए वाराणसी ही क्यों चुना ..? दूसरा सवाल यह है कि आखिर नारायण साईं को भक्ति और भजन छोड़कर राजनीति मे आने का अभिप्राय क्या है ..? क्या हुआ राजनीति की नाव पर बैठकर जेल की सीखचों के पार निकल जाना चाहते हैं ..? सवाल कई है लेकिन इसके जवाब सिर्फ और सिर्फ नारायण साईं के पास है या उनके पिता आसाराम बापू के पास लेकिन अगर नारायण साईं और उनकी पार्टी चुनाव मैदान में उतरती है तो एक बात साफ हो जाएगी की अपराधी हो या दुराचारी सभी विधायक और सांसद बनने की दौड़ में शामिल हो सकते हैं और चुनाव जीतकर प्रदेश और देश के भाग्य विधाता भी बन सकते हैं चुनाव आयोग को चाहिए की चुनाव लड़ने के लिए सामने आने वाले प्रत्याशियों के लिए भी कुछ नियम और शर्तें बनाए जिससे दागदार नेता आसानी से विधानसभा और लोकसभा के भीतर ना पहुंच सके तभी राजनीतिज्ञों को लेकर जनता का विश्वास स्थापित होगा और राजनीति में सुचिता आएगी

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