केतकी सिंह का हाल-ए-दर्द
केतकी सिंह भले ही चुनाव हार गयी हो पर बांसडीह समेत पूरे बलिया में उनके ही चर्चे है | आपको बता दे सपा प्रत्याशी राम गोविन्द चौधरी 1579 मतों विजयी हुए थे और केतकी सिंह चुनाव हार हुई थी | केतकी सिंह ने हार के बाद कहाँ था कि साथियों मुझे जीता भी रहा था बांसडीह और हरा भी रहा था बांसडीह। इसलिए हारा भी बांसडीह और जीता भी बांसडीह । शत् बार आभार और नमन है आप सब को जो मेरे अपने बन मुझे जीता रहे थे और शत् शत् बार नमन है उन्हे जो मुझे अच्छा तो मानते थे पर किसी मजबूरीवश मुझे हरा रहे थे और शत् शत् बार नमन है उन्हे जो मुझे बेगाने बन या तो हरा रहे थे या सिखा रहे थे । मेरे आत्मीय जनों बांसडीह और बांसडीह विधान सभा के लोग ही मेरे अपने है और इनके लिये कई हार मुझे स्वीकार है परन्तु बांसडीह में दोहरी राजनीती कर बांसडीह के लोगो के बीच वैमनस्यता फ़ैलाने वाले दलाल और कूटनीतिक नवरसाधारी स्वीकार नहीं है।
मुझे तो मेरे अपने दल ने ही तोड़ दिया था पर मैंने आप सब से आपका उमंग और उत्साह उधार मांग कर उस परंपरा की शुरुआत की , कि बांसडीह में आने वाली पीढ़ियों में भी जीने के लिए संघर्ष करके सही राह चुनने की प्रेरणा पैदा हो । मैंने तो अपना दल भी छोड़ा तो बांसडीह के लिए, अपने राजनीतिक भविष्य को दाँव पर लगाया तो बांसडीह के लिये। मै इस हार से निराश नहीं हूँ पर इस बात का अफ़सोस जरूर है कि जो मैंने बांसडीह के लिए सोचा था उसे पूरा करने में अभी कुछ और वक़्त है क्योंकि यही बांसडीह के आधे लोगो की इच्छा है। एक बात अवश्य बता देना चाहूंगी कि यदि आप सब का साथ ऐसे ही मिलता रहा तो अब बांसडीह में वैमनस्यता फ़ैलाने वाले लोगो को पनपने नहीं दूंगी ।
संघर्ष ही मेरा व्यक्तित्व है और बांसडीह के भले के लिए हर साँस तक संघर्ष करना मेरा स्वभाव। अभाव उनके पास होगा जिनकी तिजोरी खाली हो गयी , अभाव मेरे पास कहा जिनकी पूंजी आप सब हो। अब मै पुनः आप सब को अपना संघर्ष पईचा देकर बांसडीह के विकास और विश्वास में अपनी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान करती हूँ । केतकी सिंह ने शायराना अंदाज में अपना दर्द बयां करते हुए जो लाइने कही वो आप भी पढ़िए ” तमाशे देख लिए हमने मुकद्दर के सभी , अब तो लगता नहीं कोई अजाब बाकी | उडान बदली है , बदला है आसमां लेकिन हमारी आँखों में सितारों का ख्वाब बाकी है | शिकस्त -ए -जंग वो बिखरा है शिलाओं पे मगर , हमारी सांसो में इरादों की ताव बाकी है “ | केतकी सिंह की इन लाइनों में उनका दर्द और हौसला दोनों छिपा है | बहुत कुछ है जो वो करना चाहती और नहीं कर पाई लेकिन उन्होंने अपना हौसला अभी नहीं छोड़ा है |
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Report- Radheyshyam Pathak