खूब लड़ी मर्दानी, हार कर भी जीता सबका दिल केतकी सिंह स्पेशल





ketakee singh

उत्तर प्रदेश का बलिया जिला जो अपनी वीरता की वजह से जाना जाता है | जिले की बांसडीह सीट से प्रत्याशी केतकी सिंह भले ही चुनाव हार गयी हो  पर उन्होंने जिस तरह  निर्दल चुनाव लड़ने के बाद भी कड़ी टक्कर दी उससे  हर कोई उनका कायल हो गया है | आपको बता दे  सपा प्रत्याशी राम गोविन्द चौधरी 1579 मतों विजयी हुए थे और केतकी सिंह की हार हुई थी | पर गौर करने वाली बात यह है की केतकी सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ी थी उसके बाद भी 7 बार से विधायक रहे रामगोविंद चौधरी को इतनी कड़ी टक्कर दी | केतकी सिंह को भाजपा से टिकट न मिलने के बाद  बांसडीह विधान सभा क्षेत्र से निर्दल प्रत्याशी के रूप में   नामांकन किया था | यह बात कहनी बेमानी नही होगी कि अगर केतकी सिंह को भाजपा से टिकट मिला होता तो  उन्हें जीतने से कोई रोक नहीं सकता था |




नतीजा चाहे जो भी हो पर केतकी सिंह रानी लक्ष्मीबाई की तरह लड़ी और अपने दम पर टक्कर दी | निर्दलीय चुनाव  लड़ रही  केतकी सिंह चुनाव जीत जाती पर केतकी सिंह को कुछ अपनों का ही साथ नहीं मिला या कहे तो ठाकुर जाति का वोट बट गया जो उनकी हार की सबसे बड़ी वजह बन गई जबकि केतकी सिंह को ब्राम्हणों का साथ मिला | ठाकुर वोट नीरज सिंह को भी बट गया जो केतकी सिंह के हारने की एक वजह रही | केतकी सिंह ने चुनाव प्रचार में अपना पूरा जोर लगा दिया था पर केतकी सिंह जातीय समीकरण को नहीं समझ सकी जोकि उनकी हार की वजह बनी | केतकी सिंह  भले ही चुनाव हार गयी हो पर हर कोई यही कह रहा है कि खूब लड़ी मर्दानी| केतकी सिंह के ऊपर एक लाइन एकदम सटीक बैठती है  ” इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर   ” ऐ बेखबर ” शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं ” |

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Report- Radheyshyam Pathak

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