तो भाजपा ने पैसे और जाति के लिए दिया बाहरी प्रत्याशियों को टिकट !
बीजेपी के विधानसभा चुनाव की दूसरी सूची आते ही बस्ती जिले की पांचो विधानसभा सीट पर उम्मीदवारों का विरोध भी शुरू हो गया है। अभी तक भाजपा से टिकट की आस लगाये बैठे प्रत्येक विधानसभा सीट से औसत तीन से चार प्रत्याशियों को टिकट न मिलने से उनके समर्थकों में मायूसी है। जिसका ठीकरा स्थानीय सांसद पर फूटा है। जिसे लेकर गुस्सा व अविश्वास की प्रतिक्रिया देखी जा रही है। सोशल मीडिया पर टिकट न पाने वाले उम्मीदवारों व उनके चाहने वालो ने खुलकर सांसद हरीश द्विवेदी के खिलाफ प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है।
टिकट न पाने वाले दावेदार तो खुलेआम सोशल मीडिया पर सांसद हरीश द्विवेदी के खिलाफ पैसा लेकर टिकट वितरण कराने व जातीय आधार टिकट वितरण में दखलअंदाजी करने के आरोप भी लगा रहे हैं। रुधौली से सतेंद्र उर्फ़ जिप्पी शुक्ला बस्ती सदर से अनूप खरे, आशीष शुक्ला हर्रैया से पूर्व बीजेपी जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र महादेवा सुरक्षित से गोवर्धन सोनकर ने तो खुलेआम विरोध का स्वर तेज कर दिया है। इतना ही नहीं इन टिकटों की घोषणा होते ही असंतुष्ट उम्मीदवारों द्वारा यह कहा जा रहा है कि टिकट के बंटवारे में धनबल और प्रभावी नेताओं की पैरवी के आधार पर अपात्र, कमजोर और दूसरे दलों के कुछ चुनिंदा प्रत्याशियों को जिताने के मकसद से कुछ लोगों को टिकट दिला दिया गया। पांच सीटों वाले जिले की विधानसभा सीटों में से चार पर भाजपा ने दलबदलू प्रत्याशियों को अपने पुराने कार्यकर्ताओं व नेताओं को दरकिनार करते हुये टिकट दिया है। जिले की रूधौली विधानसभा सीट पर वर्तमान विधायक और कांग्रेस पार्टी के नेता रहे संजय जायसवाल को हाल ही में पार्टी में शामिल कराकर टिकट दे दिया गया।
वहीं बस्ती सदर विधानसभा टिकट पाये दयाराम चौधरी सपा, बसपा व पीस पार्टी सहित विभिन्न पार्टियों से चुनाव लड़ने के बाद इस बार बीजेपी से टिकट पाने में सफल रहे हैं। इसी तरह महादेवा विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के हाल तक कार्यकर्ता रहे रवि सोनकर को कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं को दरकिनार कर टिकट दे दिया गया। जिले के लिये प्रतिष्ठित हर्रैया विधानसभा सीट पर पिछला चुनाव कांग्रेस पार्टी से लड़ चुके अजय सिंह को टिकट दिया गया। सबसे दिलचस्प स्थिति जिले के कप्तानगंज विधानसभा सीट को लेकर है। जहां कई स्थानीय मजबूत प्रत्याशियों को नजरअंदाज कर नवागत और बाहरी प्रत्याशी सीपी शुक्ला को टिकट थमा दिया गया। जिस तरह से सोशल मीडिया पर टिकट न पाये प्रत्याशियों की प्रतिक्रया देखने को मिल रही है उससे तो यही लगता है कि कहीं इनका गुस्सा पार्टी के चुनाव परिणामों पर भारी न पड़ जाये और भारतीय जनता पार्टी का यूपी में 14 साल के वनवास से उबरने का सपना कहीं सपना ही न रह जाये।
Report- Rakesh Giri