नावों से स्कूल जाने को मजबूर हुए छात्र और छात्राएं,बस्ती की एक हकीकत यह भी
बस्ती- अखिलेश यादव भले ही हर जगह यह कहते हुए पाए जाते हो की #कामबोलताहै पर उत्तर प्रदेश में एक जगह ऐसी भी है जहाँ छात्र और छात्राओं को नाव से स्कूल जाना पड़ रहा है | जी हाँ प्रदेश में कितने ही हाइवे क्यों न बने हो पर बस्ती जनपद की लाइफ लाइन माने जाने वाला कुआनों नदी पर बना अमहटपुल गिर जाने से हालात ऐसे बन गए है की अब लोगो की ज़िन्दगी बेहाल हो गयी है | प्रशासन के हालात ये है की वह मजबुरियों का रोना रो रहा है | अगर प्रशासन चाहता तो लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बना सकता था पर प्रशासन ने ऐसा कुछ नहीं किया | आपको बता दे यह वही पुल है जिसके सहारे सैकड़ों गांव के लोग शहर में पढ़ने-लिखने, नौकरी करने और अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए आते जाते थे| प्रशासन के द्वारा कोई व्यस्था न करने से नाराज़ लोगों ने खुद ही वैकल्पिक रास्ता बना लिया है और अपनी जान जोखिम पर रख कर नाव के सहारे इस पार से उस पार आते जाते है | पुल गिर जाने की वजह से सबसे ज्यादा मुसीबत का पहाड़ तो उन छात्र और छात्राओं पर टूटा है जिनको स्कूल जाना रहता है | पर प्रशासन की तरफ से उनके लिए भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी है | लिहाजा पढने तो जाना ही है तो जान को दाव पर लगाकर छात्र और छात्राएं स्कूल जाने पर मजबूर है |
जब हमने प्रशासन से मामले के बारे में जानना चाहा तो वही हर बार की तरह इस बार भी प्रशासन अपना रोना रोने लगा | डीएम साहब का कहना है कि पुल की लेंथ 60 मीटर से अधिक है लिहाजा इसको पीडब्ल्यूडी नहीं बना सकता है इसको बनाने के लिए सेतु निगम ही बना सकता है | जिस पर सेतु निगम से बात किया गे अहै | सेतु निगम ने डिटेल बजट रिपोर्ट बना लिया है| जब वह बजट पास हो जाएगा तो पुल बन जाएगा | पर डीएम साहब तब तक आप तो कोई वैकल्पिक व्यवस्था तो करा ही सकते थे आखिर जिला तो आपका ही है और लोग भी आपके जिले के है | शायद प्रशासन को किसी अनहोनी का इंतजार है | हाल तो यह है कि बच्चों के परिवार वालों को अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने से भी डर लगता है और जब तक बच्चे घर वापस नहीं आ जाते तब तक उनके सकुशल वापस आने कि प्रार्थना करते रहते है |
Report- Rakesh Giri