आखिर कब जागेंगे हम

 akhir kab jagenge ham
जब आप इतिहास को भूलते हैं तो इतिहास खुद को दोहराता है | इसे समझने के लिए एक बार महमूद गजनवी का सोमनाथ पर हमला करना याद कीजिये | हमलावरों के ठीक आगे गायें दौड़ा दी गई | उधर सुरक्षा करने वालों को कुछ ने समझाया कि गायों को चोट लग जायेगी ! तुम निर्दोष, गाय जैसे जीव पर हथियार कैसे चला सकते हो ? नतीजा क्या हुआ था ये बताने की जरूरत नहीं | वो तो सबको पता ही है |
अब सोचिये कि बलात्कारियों की शिकार भीड़ के बीच में है | उसके चारों ओर घेरा बना रखा हो लार टपकाते भेड़ियों ने और इन हमलावरों के बाहर एक सुरक्षा घेरा है | सुरक्षा घेरा ऐसे लोगों का जो कह रहे हैं रात गए निकली ही क्यों ? ऐसे कपड़े क्यों पहने ? शराब पी रखी थी क्या ? ये असली हमलावरों तक आम लोगों को पहुँचने ही नहीं दे रहे | हमलावरों को बचा रखा है इन्होंने | इनका इरादा घेरा बना कर लाइव बलात्कार देखने का है !
11 फरवरी 2011 को होस्नी मुबारक़ की ख़िलाफ़ उठे अरब आंदोलन को कवर करने जब CBS की रिपोर्टर लारा लोगन, इजिप्ट पहुंची तो तहरीर स्क्वायर पर उसे ऐसी ही भीड़ का सामना करना पड़ा | लारा लोगन रिपोर्टर हैं, उन्होंने इस घटना के बारे में लिखने की हिम्मत दिखाई थी | अगर इन्टरनेट पर तहार्रुष (Taharrush) ढूंढेंगे तो मिल जाएगा | थोड़े ही दिन पहले इसी भीड़ को आप इन्टरनेट पर मुहम्मद शामी की तस्वीरों के इर्द-गिर्द घेरा बनाने की कोशिश करते देख चुके हैं |
बंगलौर में जो कुछ हुआ वह किसी से छुपा नहीं है बंगलौर जैसी जगह पर जब युवतियों के साथ छोड़खानी और रात में घर से निकलना दूभर ही सकता है तो अन्य स्थानों पर उनकी सुरक्षा की कल्पना करना मुश्किल है । हम यह क्यों नहीं समझते की वह भी किसी की बहन,बेटी , माँ होगी । अगर यही कुछ जो हम करने जा रहे है वह हमारे साथ हो जाए तो क्या होगा । तब हम पहले अपने कुकृत्य को कोसेंगे या उसको जिसने हमारे अपनों के साथ कुकृत्य किया है । चेत जाने की जरुरत उनको भी है जो सामने किसी फिल्म की तरह सबकुछ सांमने होता देखते है और उसके बाद चुपचाप चले जाते है ।
अपराध की परिभाषा में अपराधी का किसी भी तरीके से बचाव करने वाला अपराधी होता है | उसे आश्रय देने वाला भी अपराधी होता है | उसकी सुरक्षा में लगी भीड़ भी अपराधी होती है |आज की तारीख में आतंकवाद , अराजकता , धर्मांधता,जातिवादिता एक नए किस्म के संगठित अपराध के रूप में सामने आ चुका है । हर दिन इसका बदला हुआ रूप सामने आएगा | तैयारी कीजिये | आपकी अगली पीढ़ी को आप कैसी दुनियां देने वाले है वो भी सोचिये |
बाकी अहिंसक बनिए, मोह-मद त्यागिये | आँखे बंद करके न्यू इयर पार्टी मनाने का विकल्प तो है ही | सूफ़ी हो जाइए :
“छाप-तिलक सब छीनी रे,
  मोसे नैना मिलाय के |”
                                                              आनन्द कुमार

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