सिकंदरपुर बनने से बचा रतसर, पुलिस की नाकामी से भड़की आग
बलिया- अभी कुछ दिन पहले सिकंदरपुर का बवाल शांत ही हुआ था कि गड़वार थाना क्षेत्र के रतसर कस्बे में मंगलवार को हुआ छोटा सा विवाद अगले दिन विकराल रूप धारण कर लिया. कुछ आराजक तत्वों ने रतसर को सिकंदरपुर बनाने के लिए बाजार में लूटपाट करते हुए जमकर तांडव मचाया और चार दुकानों में आग भी लगा दी. इसके बाद भी पुलिस नदारद रही. मामले की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक भारी फोर्स के साथ पहुँच गए और उपद्रवियों पर काबू पा लिया. पुलिस ने लगभग पांच दर्जन लोगो को हिरासत में लिया है और एसपी ने कार्यवाही करते हुए रतसर पुलिस चौकी प्रभारी को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया है.
ऐसे शुरू हुआ पूरा मामला
घटना की शुरुआत होती है मंगलवार से, अरविंद राजभर की साइकिल रानू पुत्र नन्हे खान की बाइक से टक्कर हो गयी. जिसमे दोनों लोग घायल हो गए. आरोप के मुताबित रानू ने अरविन्द राजभर की जमकर पिटाई कर दी. जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया. परिवार के लोगों ने इसकी सूचना पुलिस चौकी में दी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की और घायल अरविन्द को इलाज के लिए जिला अस्पताल भेज दिया. मामले की चिंगारी यही से भड़क गयी. अगर चौकी प्रभारी ने सख्त कदम उठाया होता होता तो मामला इतना न बढ़ता.धीरे- धीरे अरविन्द की तबीयत बिगड़ने लगी लेकिन पुलिस कार्रवाई से बचती रही. जिसके बाद लोगों ने दोपहर 12 बजे रतसर गांधी आश्रम चौराहे पर घायल अरविन्द को लेटाकर जाम लगाया.
प्रदर्शन करने वाले लोग चाहते थे कि प्रशासन के बड़े अधिकारियों को बुलाया जाए. करीब दो घण्टे बीत जाने के बाद भी न तो कोई अधिकारी पहुंचा और न ही फोर्स पहुंची. तभी खबर आई की एक पक्ष की दुकानों में तोड़फोड़ व लूटपाट की जा रही है. तभी बाजार में स्थित एक पक्ष के लोगों की दुकानों में आग लगा दी. बवाल बढ़ने से पहले कुंभकर्ण की नींद सो रहे चौकी इंचार्ज साहब मौके पर पहुंचे तो लेकिन भीड़ को देखते हुए वापस जाने में ही अपनी भलाई समझी क्योकि यह सब उनकी कमी का ही नतीजा था. बवाल के दो घंटे बाद जिलाधिकारी सुरेंद्र विक्रम व पुलिस कप्तान अनिल कुमार भारी फ़ोर्स लेकर मौके पर पहुंचे और हालत को काबू किया. इलाके में भारी मात्रा में फोर्स तैनात है. तो साहब मामले में कार्यवाही की गयी होती तो आग इतनी न भड़कती.
Report- Radheyshyam Pathak