भाजपा और बसपा को लगा झटका ,मंजू सिंह और सुभाष यादव सपा में शामिल
बलिया। बलिया में होने वाले 4 मार्च के चुनाव से पहले बैरिया विधान सभा क्षेत्र से पूर्व विधायक सुभाष यादव ने बुधवार को सुबह लखनऊ मे मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव के समक्ष समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया| दोपहर से ही बैरिया विधान सभा क्षेत्र मे यह चर्चा जोरों पर रही| उधर, बलिया सदर से दो बार विधायक रही भाजपा नेत्री मंजू सिंह ने लखनऊ में मंगलवार को मुख्यमंत्री एवं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के समक्ष सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली| मंजू सिंह स्व. मारकण्डेय सिंह विधायक की पत्नी हैं| इस मौके पर राज्य सभा सांसद नीरज शेखर भी उपस्थित रहे| मंजू सिंह के मतदान से पहले समाजवादी पार्टी में शामिल होने के पीछे भी राज्य सभा सांसद नीरज शेखर का ही हाथ बताया जा रहा है |
मंजू सिंह ने अपने फेसबुक पर लिखाहै इतिहास गवाह है भाजपा हमेशा से मेरे साथ धोखा किया है 1993 में मेरे पति स्वर्गीय मार्केंडय सिंह विधायक रहे और एक दुर्घटना में उनका स्वर्गवास हुआ विधानसभा भंग होने के बाद पुनः चुनाव हुए, लोगों की अपार सहानुभूति थी, उसके बाद भी 1996 के चुनाव में भाजपा के ही शीर्ष नेताओं ने मुझे चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया था और फिर नामांकन के बाद उन्ही लोगों ने टिकट काट दिया, और काशीनाथ मिश्र जी को टिकट दे दिया गया,लेकिन बलिया की जनता ने आबरू रख ली, और मैं निर्दल विधायक हुई.उसके बाद भी मैंने भाजपा का साथ नहीं छोड़ा शीर्ष नेताओं के आदेश का पालन करते हुए मैंने भाजपा का सरकार बनाने में समर्थन की। उसके बाद भी 2002 में मेरा टिकट काटकर पी एन तिवारी जी को टिकट दे दिया गया जो की लड़ाई से बाहर रहे।
फिर 2007 में मुझे बसपा से टिकट मिला और मैं जनता के अपार समर्थन से विधायक रही, फिर संजय उपाध्याय ने टिकट काटा। फिर अपनों के राय से में भाजपा में शामिल हुई इस बार फिर भाजपा ने सर्वे में सबसे अच्छा होने के बावजूद आनंद शुक्ल को टिकट दे दिया।इस अपमान को देखकर माननीय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी की तरफ से नीरज शेखर और उदयवीर सिंह जी ने समाजवादी पार्टी में आने का आग्रह किया जिसे मैं सहर्ष स्वीकार करती हूँ। बता दे कि वर्ष के 2007 के विधानसभा चुनाव में सुभाष यादव बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर जीते थे, लेकिन जब 2012 के चुनाव में इन्हें बसपा से टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस के टिकट पर बैरिया विधानसभा से ही चुनाव लडें, लेकिन हार गए थे.
बीते जनवरी माह मे ही यह पुनः घर वापसी कर बसपा में शामिल हुए, तब बैरिया विधानसभा क्षेत्र मे यह चर्चा रही कि जवाहर वर्मा का टिकट काट कर इन्हें ही मिलने वाला है, लेकिन बसपा ने इन्हें आजमगढ़ मण्डल का अध्यक्ष बनाया| जिसके बाद से ही अटकले लगना शुरू हो गयी थी क्या बसपा का दामन छोड़ किसी और पार्टी में शामिल हो सकते है हालाँकि अध्यक्ष बनकर बैरिया विधानसभा मे प्रथम आगमन पर सुभाष यादव का जबरदस्त स्वागत भी हुआ था | तब बैरिया के राजनीति मे यह चर्चा जोरों पर रही कि बसपा से यही चुनाव लड़ेंगे, लेकिन पार्टी ने सारे अटकलों पर विराम रखते हुये जवाहर प्रसाद वर्मा को ही अपना प्रत्याशी बरकरार रखा| सुभाष यादव को आजमगढ़ मण्डल के चुनाव की जिम्मेदारी सौपी| सूत्रों की माने तो सुभाष यादव का टिकट ना मिलना भी बसपा छोड़ने की एक वजह हो सकती है |
मंजू सिंह ने अपने फेसबुक पर लिखाहै इतिहास गवाह है भाजपा हमेशा से मेरे साथ धोखा किया है 1993 में मेरे पति स्वर्गीय मार्केंडय सिंह विधायक रहे और एक दुर्घटना में उनका स्वर्गवास हुआ विधानसभा भंग होने के बाद पुनः चुनाव हुए, लोगों की अपार सहानुभूति थी, उसके बाद भी 1996 के चुनाव में भाजपा के ही शीर्ष नेताओं ने मुझे चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया था और फिर नामांकन के बाद उन्ही लोगों ने टिकट काट दिया, और काशीनाथ मिश्र जी को टिकट दे दिया गया,लेकिन बलिया की जनता ने आबरू रख ली, और मैं निर्दल विधायक हुई.उसके बाद भी मैंने भाजपा का साथ नहीं छोड़ा शीर्ष नेताओं के आदेश का पालन करते हुए मैंने भाजपा का सरकार बनाने में समर्थन की। उसके बाद भी 2002 में मेरा टिकट काटकर पी एन तिवारी जी को टिकट दे दिया गया जो की लड़ाई से बाहर रहे।
फिर 2007 में मुझे बसपा से टिकट मिला और मैं जनता के अपार समर्थन से विधायक रही, फिर संजय उपाध्याय ने टिकट काटा। फिर अपनों के राय से में भाजपा में शामिल हुई इस बार फिर भाजपा ने सर्वे में सबसे अच्छा होने के बावजूद आनंद शुक्ल को टिकट दे दिया।इस अपमान को देखकर माननीय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी की तरफ से नीरज शेखर और उदयवीर सिंह जी ने समाजवादी पार्टी में आने का आग्रह किया जिसे मैं सहर्ष स्वीकार करती हूँ। बता दे कि वर्ष के 2007 के विधानसभा चुनाव में सुभाष यादव बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर जीते थे, लेकिन जब 2012 के चुनाव में इन्हें बसपा से टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस के टिकट पर बैरिया विधानसभा से ही चुनाव लडें, लेकिन हार गए थे.
बीते जनवरी माह मे ही यह पुनः घर वापसी कर बसपा में शामिल हुए, तब बैरिया विधानसभा क्षेत्र मे यह चर्चा रही कि जवाहर वर्मा का टिकट काट कर इन्हें ही मिलने वाला है, लेकिन बसपा ने इन्हें आजमगढ़ मण्डल का अध्यक्ष बनाया| जिसके बाद से ही अटकले लगना शुरू हो गयी थी क्या बसपा का दामन छोड़ किसी और पार्टी में शामिल हो सकते है हालाँकि अध्यक्ष बनकर बैरिया विधानसभा मे प्रथम आगमन पर सुभाष यादव का जबरदस्त स्वागत भी हुआ था | तब बैरिया के राजनीति मे यह चर्चा जोरों पर रही कि बसपा से यही चुनाव लड़ेंगे, लेकिन पार्टी ने सारे अटकलों पर विराम रखते हुये जवाहर प्रसाद वर्मा को ही अपना प्रत्याशी बरकरार रखा| सुभाष यादव को आजमगढ़ मण्डल के चुनाव की जिम्मेदारी सौपी| सूत्रों की माने तो सुभाष यादव का टिकट ना मिलना भी बसपा छोड़ने की एक वजह हो सकती है |
Report- Radheyshyam Pathak