यही रात अंतिम यही रात भारी, उड़ गयी आज नींद मेरी





candidates in the fight with symbol ballia

बलिया। चुनाव का नतीजा आने में अब महज चंद घंटे ही बचे है तो नेताजी को नींद कहा से आए | इस एक नतीजे से उनका 5 साल जो जुड़ा है | तो इस सूरत में रमानंद सागर द्वारा निर्मित धारावाहिक रामायण का यह गाना  नेताजी पर बिल्कुल सही बैठता है |  ‘यही रात अंतिम  यही रात भारी’| जी बिल्कुल इस गाने की तरह यह रात नेताजी पर बहुत ज्यादा ही भारी है | इस रात को नेताजी की नींद और चैन दोनों को उड़ा के रखा है | यह रात बाद वह सुबह आने वाली है जो नेताजी की हर रात सुहानी बना सकती है या हर रात बेरंग | विधान सभा चुनाव में अपना अपना भाग्य आजमा रहे प्रत्याशियों  की धड़कने रुकी हुई है ।  यह रात न की केवल नेताजी पर भारी पड़ रही है बल्कि नेताजी के समर्थकों व शुभचिंतकों  पर भी भारी पड़ रही है | वह भी यही सोच रहे है कि कल नेताजी का क्या होगा |




सुबह होते ही जैसे ही ईवीएम मशीन से नेताजी की किस्मत खुलेगी | तो नेताजी वही मना रहे  होंगे की ईवीएम से उनकी किस्मत ही खुले | जिले के सात विधान सभा में कौन-कौन सी सीटें किस पार्टी की झोली में जायेगा, इसको लेकर  चर्चाओं का दौर गर्म रहा | हर कोई अपनी पार्टी कू जिता रहा है | किसी ने भाजपा तो किसी ने सपा और किसी ने बसपा  की जीत का दावा किया | जीतने वाले प्रत्याशी की तरफ से  अबीर-गुलाल उड़ेंगे  , पटाखे दगेंगे  और  मिठाईयां भी बंटेगी।  वही हारने वाला प्रत्याशी फिर से पांच साल  तक चुनाव आने का इंतजार करेगा

Report- Radheyshyam Pathak

और भी ख़बरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *