तो अब अखिलेश चलाएंगे मोटरसाइकिल और मुलायम जोतेंगे हल

राजनीति में समय बहुत बलवान होता है । यही समय इस उम्र में मुलायम को बैल से खेत जोतने की कगार पर ले आया है जबकि अखिलेश पिता को हल से खेत जोत्तता छोड़कर मोटरसाइकिल से फर्राटे भरते दिखाई देंगे ।


सोमवार को चुनाव आयोग समाजवादी दंगल में अम्पायर बन फैसला सुनाने वाला है ।आयोग में अखिलेश की तरफ से रामगोपाल यादव ने पक्ष रखा है कि सपा के 80 फीसदी विधायक और कार्यकर्ता पार्टी के नए अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ है । वंही मुलायम सिंह यादव ने चुनाव आयोग के सामने यह दलील रखी है कि रामगोपाल को पहले ही पार्टी से निकाल चुके थे लिहाजा उनके द्वारा बुलाया अधिवेशन अवैध है और वह ही सपा क़े राष्ट्रीय अध्यक्ष है । इस स्थिति में जानकारों की राय है कि चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है और नामाकन प्रक्रिया शुरू होने वाली है ऐसे में चुनाव आयोग के सामने इतना समय नहीं है कि वह विवाद की सुनवाई कर किसी नतीजे पर पहुँच सके ।क्योकि इस प्रक्रिया में चार से पांच माह का समय लगेगा । लिहाजा विवाद का निपटारा होने तक उसके सामने सबसे बेहतर विकल्प है कि वह साइकिल चुनाव चिन्ह और समाजवादी पार्टी दोनों का नाम फ्रीज कर दे और 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में दोनो से अलग पार्टी नाम और चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने के लिए कह दे । अगर ऐसा हुआ तो इतनी जल्दी नई पार्टी का नाम और चुनाव निशान मतदाताओं तक पहुचाना दोनो खेमे के लिये सबसे बड़ी समस्या होगी ।

अब क्या करेंगे मुलायम और शिवपाल …

दरअसल मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी अयोध्या में बाबरी ढांचा ध्वस्त होने के एक साल पहले ही बनाई थी । जबकि मुलायम सिंह यादव ने अपना राजनैतिक सफर लोकदल के साथ शुरू किया था । मुलायम सिंह यादव सन1982 में लोकदल के राहट्रीय अध्यक्ष रह चुके है । जबकि 1985 में उन्होंने लोकदल के वैनर तले चुनाव लड़ा था और 85 विधानसभा सीटे भी जीती थी । इसी के बाद वह नेता विपक्ष बने थे । अब जब पार्टी पर बेटे अखिलेश ने कब्जा कर लिया है और कभी उनकी जय जयकार करने वाले नेता अखिलेश की हैंडिल पकड़ चुके है तो अब मुलायम सिंह यादव के सामने एक ही रास्ता बचा है कि वह फिर से अपनी पार्टी में वापस लौट जाए । जिसकी संभावना काफी अधिक दिखाई दे रही है । अगर ऐसा हुआ तो 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव भाई शिवपाल और अमर सिंह जे साथ दो बैलो की जोड़ी लेकर किसान के भेष में इस उम्र में खेत जोतते नजर आएंगे ।

क्या होगा अखिलेश का …..

समाजवादी पार्टीवका राष्ट्रीय अध्यक्ष बन अखिलेश ने पार्टी पर कब्जा भले ही कर लिया हो लेकिन वह उंगलिया उनसे दूर हो गई है जिन्होंने उन्हें सहारा देकर राजनीतिक डगर पर चलना सिखाया है । चाचा रामगोपाल यादव की जिस उँगली का उन्हें सहारा मिला है वह पहले ही यादव सिंह के भ्र्ष्टाचार के मामले में चोटिल हो चुकी है । ऐसे में अखिलेश ने समाजवादी पार्टी का नाम फ्रीज होने क़े बाद इसके नाम के आगे प्रोग्रेसिव लगाकर समाजवादी दंगल के बाद चुनावी दंगल में जाने का फैसला किया है । यानि अखिलेश की पार्टी जा नाम होगा प्रोग्रेसिव समाजवादी पार्टी । पार्टी का चुनाव निशान साइकिल के स्थान पर होगा मोटरसाकिल । मिलता जुलता चुनाव निशान और पार्टी का नाम होने से मतदाताओं को समझाना आसान होगा और मेहनत भी कम होगी ।

लोकदल से क्या हुई है बात …

सूत्रों की माने तो लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह से अमर सिंह , मुलायम सिंह यादव और शिवपाल से लगातार वार्ता हो रही है । लोकदल मुलायम सिंह यादव को पार्टी अध्यक्ष बनाने को तैयार भी है । अब मुलायम और शिवपाल समर्थक सपा नेताओं को लोकदल से टिकट दिया जाएगा । बस इन्तजार है तो चुनाव आयोग के फैसले का जिसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है ।

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