बलिया में हुए करोड़ों के जीपीएफ घोटाले में फसेंगी कईयों की गर्दन
उत्तर प्रदेश के बलिया में माध्यमिक शिक्षा विभाग में हुए करोड़ों रुपये के जीपीएफ घोटाले में उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को एक सप्ताह का अल्टीमेटम जारी कर दिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी सुरेन्द्र विक्रम व जेडी की टीम वरिष्ठ कोषाधिकारी कार्यालय में पहुँच गयी | जिसके बाद से विभागीय गलियारे इस बात की हलचल बढ़ गयी है। जिलाधिकारी के जाने के बाद भी लौटने के बाद भी कोषाधिकारी कार्यालय में कर्मचारी फाइलों ढूढ़ते रहे|
यह है मामला
आरोप है कि 1994-95 और 2003 से 2011 तक लगातार जीपीएफ खाते से 104 अनियमित शिक्षकों को वेतन दिया गया। 2002 में इसका खुलासा था जिसके बाद विजिलेंस टीम ने 379 शिक्षक तथा कर्मचारियों के खिलाफ बलिया कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था और अपनी रिपोर्ट भी शासन को भेजी थी | इतना सब होने के बाद भी 2003 से 2011 तक जीपीएफ खाते से ही शिक्षकों का भुगतान होता रहा। मार्च 2017 में वित्त विभाग विजिलेंस की टीम बलिया आई थी और पड़ताल भी की थी लेकिन जिविनि कार्यालय द्वारा जीपीएफ से सम्बंधित पत्रावली टीम को नहीं दी गयी। जांच करने के बाद विजिलेंस टीम ने सात जिला विद्यालय निरीक्षकों के साथ ही उनके कार्यकाल के लेखाकार को दोषी पाया था | इतना कम था कि उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान विभागीय अफसरों को फटकार लगाते हुए एक सप्ताह का अल्टीमेटम भी दे दिया | साथ ही कोर्ट ने पूरे प्रकरण को सीबीआई को सौंपने की भी बात कही ।
Report- Radheyshyam Pathak