शहीद की शव के लिए तड़प रहा है परिवार,किया प्रदर्शन





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जम्मू कश्मीर में एलओसी से सटे गुरेज सेक्टर में शुक्रवार सुबह हिमस्खलन का शिकार  हुए सैनिको में प्रतापगढ़ के विजय शुक्ल भी शहीद  हुए थे | जिसको लेकर मातम का माहौल अभी तक गाँव मफतनपुर के पाण्डेय तारापुर में  है |एक सप्ताह बाद भी शहीद  विजय शुक्ल का शव घर नही पहुँचने से नाराज़ ग्रामीणों  का सब्र का बांध टूट गया और जमकर हंगामा किया । लखनऊ वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर हज़ारो लोगो ने जाम लगा दिया । गुरेज़ सेक्टर के हिमस्खलन में 26 जनवरी को शहीद हुए थे |




पढ़े जब शहीद हुआ था जवान

इस शहीद को कर लो आख़िरी सलाम,जिसकी बेटी पूँछ रही है पापा  कब आएँगे

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ऐ मेरे वतन के लोगो ज़रा आँख में भर ली पानी , जो शहीद हुए है उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी । ये गाना जब फ़िल्मी परदे पर गाया गया तो हर किसी की आँखों में आंसू बहे थे । आज भी जब हम उसे सुनते है तो रोमांचित हुए बिना नहीं रहते । लेकिन क्या आपको पता है कि एक सैनिक हमारे और आपकी सुरक्षा के लिए कितनी मुश्किलें सहता । जिंदगी की जंग के बीच मौत से कितनी लड़ाई रोज लड़ता है । दूसरी तरफ जब घर वाले फोन कर पूंछते है कब आइयेगा तो वह जल्दी आने की बात तो करता है लेकिन फोन कटते ही उतनी ही मुस्तैदी से देश की सुरक्षा में तल्लीन हो जाता है ।लेकिन जब उसके शहीद होने की खबर घर आती है तो वह बच्चे जो पालने से बाहर निकलकर बचपन की दहलीज पर खड़े होते है । उन्हें इस अनहोनी की खबर तक नहीं होती  । वह तो बस यही कहती है पापा कब आएँगे ….?

मिलिए ऐसे ही एक शहीद से ,  जिसकी मासूम बेटी पूँछ रही है पापा कब आएँगे , तीन दिन से नहीं कर रहे फोन 

 कश्मीर में एलओसी से सटे गुरेज सेक्टर में शुक्रवार सुबह हिमस्खलन का शिकार हुए सैनिको में प्रतापगढ़ के विजय शुक्ल भी सहीद हुए है ,फतनपुर के पाण्डेय तारापुर गाव में मातम का माहौल  है | शहीद विजय शुक्ला के परिवार को विश्वाश नहीं हो रहा कि उनका बहादुर बेटा आज इस दुनिया में नहीं है । पाण्डेय तारापुर गांव में चहल पहल बढ़ गई है लेकिन इस चहल पहल में अजब सा मातमी सन्नाटा पसरा है ।  जिसने भी विजय की शहादत की खबर सुनी वह परिवार को हिम्मत देंने पहुच रहा है ,हालाँकि परिजनों को विजय के पार्थिव शरीर को  सेना कब सौपेंगी यह नहीं पता ,परिवार के लोगो का कहना है की अभी एक या दो दिन लग सकते है ,विजय शुक्ला की एक सात साल की बेटी है जिससे बिजय घर फोन करने प्हर बात जरूर करते थे । लेकिन अब नहीं रहे तो बेटी बार बार पूँछ रही है पापा कब आएँगे ।वह बार बार कह रही है की तीन दिनों से पापा से बात नहीं हुई कहा है ,लेकिन उसे जबाब नहीं मिल रहा है । कोई जबाब दे भी तो क्या …? उस मासूम को तो मालूम ही नहीं कि उसके पापा हमेशा के लिए वापस तो आने वाले है लेकिन पंचतत्व में विलीन होने के लिए अब वह कभी फोन नहीं करेंगे कभी कुछ बोलेंगे भी नहीं बस खामोशी से  चार कंधो पर सबके साथ जाएंगे तो जरूर लेकिन वापस कभी नहीं लौटेंगे । पेशे से शिक्षक तीरथ राज शुक्ला  का बुरा हाल है अब उन्हें उम्मीद यही है की भारतीय सरकार उनके बेटे का शव जल्दी उनके पास भेज दे । 

Report- Dherendrapratap Singh

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