शहीद की अंतिम विदाई
प्रतापगढ़ के शहीद विजय शुक्ला का पार्थिव शरीर आज उनके गाव पंहुचा | एक सप्ताह से अपने बहादुर बेटे के शव का इन्तजार कर रहे परिजनों का रो रो कर बुरा हाल था| रानीगंज के पाण्डेय तारा गाँव के विजय शुक्ला का एलओसी पर गुरेज सेक्टर में हिमपात के चलते बर्फ में दब कर मौत हो गई थी | 25 जनवरी की रात हुई घटना के बाद दूसरे दिन शहीद का शव मिला था | तब से परिजनों को उनके पार्थिव शरीर का इन्जार था | कल आक्रोशित ग्रामीणों और परिजनों ने शहीद के पार्थिव शरीर की मांग को लेकर लखनऊ -बनारस मार्ग जाम कर दिया था |शहीद विजय अपने पीछे पत्नी और एक छोटी बेटी छोड़ कर चले गए | उनका अंतिम संस्कार उनके पैत्रिक गाँव पाण्डेय तारा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया | शहीद की अंतिम विदाई में आज लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा | हर किसी की आंखे नाम थी | हर कोई शहीद के अंतिम दर्शन करना चाह रहा था | शहीद विजय शुक्ला आज सबको छोड़ कर माँ भारती की गोंद में समां गया |
पढ़े क्या है शहीद की कहानी
ऐ मेरे वतन के लोगो ज़रा आँख में भर ली पानी , जो शहीद हुए है उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी । ये गाना जब फ़िल्मी परदे पर गाया गया तो हर किसी की आँखों में आंसू बहे थे । आज भी जब हम उसे सुनते है तो रोमांचित हुए बिना नहीं रहते । लेकिन क्या आपको पता है कि एक सैनिक हमारे और आपकी सुरक्षा के लिए कितनी मुश्किलें सहता । जिंदगी की जंग के बीच मौत से कितनी लड़ाई रोज लड़ता है । दूसरी तरफ जब घर वाले फोन कर पूंछते है कब आइयेगा तो वह जल्दी आने की बात तो करता है लेकिन फोन कटते ही उतनी ही मुस्तैदी से देश की सुरक्षा में तल्लीन हो जाता है ।लेकिन जब उसके शहीद होने की खबर घर आती है तो वह बच्चे जो पालने से बाहर निकलकर बचपन की दहलीज पर खड़े होते है । उन्हें इस अनहोनी की खबर तक नहीं होती । वह तो बस यही कहती है पापा कब आएँगे ….?
मिलिए ऐसे ही एक शहीद से , जिसकी मासूम बेटी पूँछ रही है पापा कब आएँगे , तीन दिन से नहीं कर रहे फोन
कश्मीर में एलओसी से सटे गुरेज सेक्टर में शुक्रवार सुबह हिमस्खलन का शिकार हुए सैनिको में प्रतापगढ़ के विजय शुक्ल भी सहीद हुए है ,फतनपुर के पाण्डेय तारापुर गाव में मातम का माहौल है | शहीद विजय शुक्ला के परिवार को विश्वाश नहीं हो रहा कि उनका बहादुर बेटा आज इस दुनिया में नहीं है । पाण्डेय तारापुर गांव में चहल पहल बढ़ गई है लेकिन इस चहल पहल में अजब सा मातमी सन्नाटा पसरा है । जिसने भी विजय की शहादत की खबर सुनी वह परिवार को हिम्मत देंने पहुच रहा है ,हालाँकि परिजनों को विजय के पार्थिव शरीर को सेना कब सौपेंगी यह नहीं पता ,परिवार के लोगो का कहना है की अभी एक या दो दिन लग सकते है ,विजय शुक्ला की एक सात साल की बेटी है जिससे बिजय घर फोन करने प्हर बात जरूर करते थे । लेकिन अब नहीं रहे तो बेटी बार बार पूँछ रही है पापा कब आएँगे ।वह बार बार कह रही है की तीन दिनों से पापा से बात नहीं हुई कहा है ,लेकिन उसे जबाब नहीं मिल रहा है । कोई जबाब दे भी तो क्या …? उस मासूम को तो मालूम ही नहीं कि उसके पापा हमेशा के लिए वापस तो आने वाले है लेकिन पंचतत्व में विलीन होने के लिए अब वह कभी फोन नहीं करेंगे कभी कुछ बोलेंगे भी नहीं बस खामोशी से चार कंधो पर सबके साथ जाएंगे तो जरूर लेकिन वापस कभी नहीं लौटेंगे । पेशे से शिक्षक तीरथ राज शुक्ला का बुरा हाल है अब उन्हें उम्मीद यही है की भारतीय सरकार उनके बेटे का शव जल्दी उनके पास भेज दे ।
Report- Dherendrapratap Singh