मोदी के बनारस में लगा ऐसा मेला जिसने भी देखा निकल गई चीख , जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान





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बनारस की गलियां, भोले की नगरी , और साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी । इसी बनारस में एक ऐसा मेला इस बार फिर लगा जिसे देखने के बाद कमजोर दिल वाले की चीखे जरूर निकल जाती है । हम आपको इस मेले की एक एक खासियत बताएंगे और यह भी बताएंगे कि वह क्या है जो इस मेले को अद्भुत और अविश्वसनीय बना देता है ।
इतनी भीषण गर्मी में चारो ओर व्याकुलता ही नजर आती है तो भला कोई कैसे न केवल खौलते खीर से नहा रहा है, बल्कि खौलते घी में छन रही पूड़ियों को अपने नंगे हाथों से निकाल रहा है। इतना ही नहीं जब थोड़ा सुसताना हो तो अग्नि कुंड उसका सहारा बन जाता है। यकीन नहीं होता तो पढ़िए वाराणसी से यह Truths Today  Special Report –.

मट्टी के कच्चे पात्रों में खौलते घी में छन रही पुड़ियों को नगे हाथों से निकालता ये शख्स। देवी के पूजन के लिए आग पर चढाई गई खीर की 9 हांडियों को बारी-बारी अपने नंगे बदन पर उड़ेलना और फिर इन सभी चीजों से जब थोड़ा सुसताना है तो हवन कुंड में मुंह के बल सिर्फ एक लाठी के सहारे अपने आधे शरीर को लटका देना। ये नजारा वाराणसी के मैदागिन स्थित सप्तसागर मंड़ी का है। जहां हर वर्ष नवरात्र के बाद ये परम्परा कई पीढियों से निभाई जाती रही है। जिसको “कड़हा पूजन” कहते है। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगो की रक्षा की थी तभी से इस “कड़हा पूजन” की परम्परा चली आ रही है और इस कारनामे को करने वाले भगत और घेरे हुए सैकड़ों आस्थावानों आग के इस खेल से कोई नुकसान नही होता है। इस अनुष्ठान को कराने वाले आयोजकों द्वारा उन लोगो को खुली चुनौती है जो इसपर सवाल उठाते है। एक-दो बार नहीं बल्कि दर्जनों बार खौलते घी में से पुड़ियों को अपने नंगे हाथों से महिलाओं की ओर प्रसाद स्वरूप फेकना और उसके बाद भी महिलाओं को कुछ न होना। इसके पीछे श्रद्धालु महिलाओं का मानना है कि ये तो प्रसाद है। क्या प्रसाद से कभी किसी का नुकसान हुआ है। उनके शरीर पर कहीं भी जलने का कोई निशान नहीं है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस कड़हा पूजा अनुष्ठान में हिस्सा लेने से उनको सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ती होती है और सभी का कल्याण होता है। अब इसे आस्था कहें, अंधविश्वास या फिर चमत्कार। लेकिन तमाम सवालों और आडम्बरों के बाद भी सैकड़ो साल पुरानी परम्परा आज भी जीवित है जिसकी एक मात्र वजह है विश्वास।

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