सुकमा नक्सली हमले में शहीद हुआ बलिया का बेटा, छोड़ गया कई अधूरे ख्वाब
छत्तीसगढ़ के सुकमा में मंगलवार को हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ जवान मनोज कुमार सिंह शहीद हो गए. मनोज 15 दिन की छुट्टी बिताने के बाद तीन दिन पहले ही ड्यूटी पर गया था और इस वादे के साथ की वह जल्द ही वापस आएगा. लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. शहीद हमेशा के लिए दुनिया को छोड़कर चला गया. मनोज छत्तीसगढ़ के सुकमा में तैनात था और होली के त्योहार में छुट्टी लेकर गांव आया था. देश के लिए शहीद हुए बेटे की शहादत से पिता नरेन्द्र गुमसुम से हो गए है. साल 2002 में मनोज छत्तीसगढ़ से ही सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. जिसके बाद 2003 उनकी शादी सुमन से हुई थी. एक साथ मकान में रहने से दिक्कत के कारण मनोज ने अलग मकान बनाने की योजना बनायीं थी लेकिन उसकी यह आरजू अधूरी ही रह गयी. मनोज के शहीद होने की खबर मिलने के बाद शहीद के गांव में स्याह सन्नाटा छा गया. हर किसी की आंखे नम है. जिले के उसरौली गांव के रहने वाले मनोज सिंह की तैनाती सीआरपीएफ के 212 बटालियन में थी. इस समय उनकी पोस्टिंग छत्तीसगढ़ के सुकमा में थी. नक्सलियों ने काम्बिंग करने जा रहे सीआरपीएफ जवानों के वाहन को आईडी ब्लास्ट से धमाका कर उड़ा दिया. इसकी सूचना जैसे ही गाँव में पहुची, घर वालों के साथ ही पूरा गाँव ग़मगीन हो गया.
शहीद के घर पर लोग जमा होने लगे और परिवार को ढांढस बंधाने लगे. अपने दो भाइयों में मनोज बड़े थे. शहीद के दो पुत्र है. एक पुत्र प्रिंस छह साल का है तो वही दूसरा पुत्र प्रतीक चार साल का है. पिता के जाने के बाद उनके सर से पिता का साया उठ गया है. शहीद का पार्थिव शरीर आज उनके घर आने की उम्मीद है. शहीद के पिता नरेन्द्र भी सीआरपीएफ से रिटायर हैं. लेकिन उनको यह नहीं पता था कि उनका लाल वापस नहीं आयेगा. इस हमले में नौ जवान शहीद हुए है, जिसमे तीन जवान उत्तर प्रदेश के है. शहीदों में शोभित कुमार शर्मा गाजियाबाद, धर्मेन्द्र सिंह यादव मऊ, मनोज सिंह बलिया, चंद्रा एचएस कर्नाटक, जितेन्द्र सिंह मध्य प्रदेश, मनोरंजन लेका ओडिशा, अजय कुमार यादव बिहार, रामकृष्ण सिंह तोमर मुरैना मध्य प्रदेश और लक्ष्मण राजस्थान शामिल है.