स्कूल की वजह से मौत को गले लगाने को मजबूर हुआ बलिया का मासूम
बलिया। देश में जहाँ हर सरकार बच्चों को पढने के लिए प्रेरित करती है और कई तरह के कार्यक्रम भी चलये जाते है जिससे बच्चे पढ़े और आगे बड़े | लेकिन उत्तर प्रदेश के बलिया में शिक्षा का हाल क्या है और अगर कोई पढना चाहता है तो उसे मोटी रकम चुकानी पड़ती है | बलिया जिले का उभांव थाना क्षेत्र का चकिया गांव यहाँ एक बालक मौत को गले लगाने को इसलिए तैयार हो गया क्योकि शिक्षा के नाम पर अपना धंधा चलाने वाले स्कूल उसका हाईस्कूल का प्रवेश पत्र देने के बदले पैसे की मांग की और गरीब बालक जब पैसे न चुका सका तो उसने मौत को गले लगाना बेहतर समझा | आइए हम बताते है आखिर पूरा मामला क्या है | शाम का समय था और एक नाबालिक लड़का रेलवे लाइन पटरियों के आस पास ही टहल रहा था जैसे उसे किसी का इंतजार हो |
लड़के की यह हरकते गांव के निवासी लालबहादुर को संदिग्ध लगी और उसने डायल-100 को इसकी सूचना दी। पुलिस को देख बालक घबराने लगा लेकिन लड़के उप निरीक्षक छोटेलाल दूबे ने लड़के से प्यार से पूछा तो उसने अपना नाम मो0 आमीर पुत्र बदरुद्दीन निवासी-पिपरौली बड़ागांव बताया। उसके बाद उसने जो कुछ बताया उसको सुनने के बाद हर किसी का कलेजा पसीझ जाएगा | बच्चे ने बताया कि वह पिपरौली में ही एक स्कूल में हाईस्कूल का छात्र है। स्कूल में प्रवेश पत्र लेने गया था पर उससे प्रवेश पत्र के लिये पैसा मांगा गया। मेरे पास पैसा नहीं था। जब घर आकर मां से पैसा मांग रहा था, तब तक विदेश से पिता का फोन आ गया। मां ने पैसे के बारे में बताया तो अब्बू ने मुझे डांटते हुए अपशब्दों का प्रयोग किया। मैं अपने जीवन पर परिवार का निगेटिव सपोर्ट देख गुस्से में आकर ट्रेन से कट कर आत्महत्या करने का निर्णय कर रेलवे लाइन पर आया था। पुलिस टीम ने लड़के को उभांव थाने पहुंचाने के साथ ही उसकी मां को बुलाकर आवश्यक लिखा-पढ़ी कर सुर्पुद किया। पर सवाल उठता है कि ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही कब होगी ? क्या पुलिस का कोई कर्त्तव्य नहीं बनता था कि वह ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही करे ?
Report- Radheyshyam Pathak