वोटरों की खामोशी ने उड़ाई प्रत्याशियों की नींद
बलिया- बलिया के रण में प्रत्याशियों की नींद गायब है और गायब होने का कारण है वोटरों कि ख़ामोशी | प्रत्याशी, मतदाता, समर्थक, संबंध, आचरण, हनक, वोट कांट्रैक्टर, वोट कटवा सब पर भारी पड़ रहे हैं बलिया विधानसभा क्षेत्र में साइलेंट वोटर| एक-एक कर आए ताबड़तोड़ चुनावो ने मानो बलिया विधानसभा क्षेत्र के भोली-भाली मानसिकता वाले मतदाताओं का मन मिजाज सतर्कता में बदल दिया है| वोट मांगने पहुंचने वाले प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं को अपनी बातों से पूरी तरह से संतुष्ट कर भेजने वाले सामान्य मतदाताओं के चेहरों पर प्रत्याशियों के हटते ही उभरने वाली रहस्य भरी मुस्कान समीकरण बाजों व चुनावी रणनीतिकारों के लिए हैरानी का सबब बन गया है. मानो जनप्रतिनिधियों के लिए “तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा” के हुनर से बलिया के आमजन हुनरमंद हो गए हो. जिससे उम्मीदवार उत्साह में ज्यादा विश्वास में कम होते जा रहे हैं.
विधानसभा के चुनावी समर में भाजपा, सपा, बसपा व निर्दलीय दमदारी से चुनाव लड़ रहे हैं. बलिया राजनीतिक परिदृश्य पर अलग-अलग सभी के संघर्ष में सबसे आगे होने, जनता की पसंद होने के बुलबुले उठ कर मतदाताओं की खामोशी देख शांत हो जा रहे हैं. यहां के प्रत्याशियों के समर्थकों द्वारा और कुछ हद तक फेसबुक, वाट्सप ऐप पर व चट्टी चौराहों पर टैंपो हाई करने की पूरजोर कोशिशे जारी है, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या मतदाताओं की तुलना में मुट्ठी भर है. तो अब यह बात सबके परे हो गयी है की बलिया का रण कौन जीतेगा ?