मतदान में लगे शिक्षक-कर्मचारी क्यों नहीं करना चाहते ड्यूटी





election problem for staff of election
election problem for staff of election
फैजाबाद- लोकतंत्र में निर्वाचन का विशेष महत्व है| इसमें मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करके अपने क्षेत्र के सांसद, विधायक, ग्रामप्रधान, जिला पंचायत सदस्य एवं नगरपालिका अध्यक्ष व सभासदों का चुनाव करते हैं। भारत निर्वाचन आयोग जैसी शक्ति सम्पन्न संस्था चुनावों को सम्पन्न कराने का काम करती है। चुनावों की तिथियां घोषित करने के साथ आयोग आचार संहिता लागू करके जिलाधिकारियों को संपूर्ण अधिकार सौंप देता है। जिसके तहत जिलाधिकारी निर्वाचन कराने की जिम्मेदारी निभाने हेतु जोनल, सेक्टर मजिस्ट्रेट नियुक्त करने, मतदान हेतु पीठासीन अधिकारियों सहित अन्य मतदात कर्मियों की नियुक्ति व वाहन आदि का प्रबंध करने की जिम्मेदारी अपने अधीनस्थ अधिकारियों को सौंप देता है। प्रत्येक जिले में आठ से 10 हजार मत मतदानकर्मी प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और पोलिंग पार्टियां मतदेय स्थल को भेजी जाती हैं। मतदान कराने हेतु ज्यादातर माध्यमिक व प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों तथा राज्य कर्मचारियों को लगाया जाता है लेकिन पोलिंग पार्टियों को भेजने हेतु वाहन की समुचित व्यवस्था नहीं की जाती है




परिणाम स्वरूप तमाम पीठासीन अधिकारियों को उनकी सहयोगी टीमों के साथ ट्रकों में पीछे बैठकर 50 से 60 किमी तक का  सफर तय करना पड़ता है। सम्मानित प्रवक्ताओं, प्रधानाचार्यों व शिक्षकों, कर्मचारियों को भेंड़ बकरियों की तरह भरकर भेजा जाता है। इंकार करने पर उन्हें निलंबित करने, जेल भेजने की धमकी भी दी जाती है।
शिक्षक नेता चन्देश्वर पाण्डेय कहते हैं कि इस चुनाव कार्य में साठ वर्ष से ऊपर आयु वाले वृद्ध शिक्षकों, कर्मचारियों को भी नियुक्त कर दिया जाता है। विकलांग, अस्वस्थ व शरीर से अशक्त लोगों को भी चुनाव ड्यूटी पर जाने हेतु बाध्य किया जाता है। इस चुनाव कार्य में विभिन्न राजनैतिक दलों के पदाधिकारी व सदस्य शिक्षकों को भी लगाया जाता है वे वहां निष्पक्ष चुनाव कैसे करा सकेंगें?  एक और शिक्षक संपूर्णानंद बाजपेयी कहते हैं कि मतदान जैसी जिम्मेदारी निभाने वाले कर्मचारियों को मतदान केन्द्रों पर तमाम असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। मतदान हेतु पोलिंग स्टेशन पर जाने व वहां से सकुशल वापस लौटने के बाद रात 12 बजे तक वोटिंग मशीनें व प्रपत्र जमा करने के बाद अपने घर तक कर्मचारी कैसे पहुचेंगें इसका भी ध्यान नहीं रखा जाता। मतदान अधिकारी को इन समस्याओं की ओर ध्यानाकृष्ट करने की आवश्यकता है।

Report- Nitin Mishra

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