टिकट पाने से लेकर चुनाव जीतने के लिए नेता करते हैं ये उपाय
अयोध्या- विधानसभा चुनाव की सरगर्मी चरम पर है, चुनावी बिगुल बजते ही रामनगरी में नेताओं की हाजिरी बढ़ जाती है। देश-प्रदेश ही नहीं, आसपास के क्षेत्रों से भी चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे नेता मंदिर की चौखट पर मत्था टेकने जरूर आते हैं। तो वहीं दूसरी तरफ टिकट पाने से लेकर चुनाव जीतने तक पूजा-पाठ एवं धर्मकर्म में ये नेता लाखों रूपये व्यय करते हैं। कई नेता तो टोटकों पर भी विश्वास करते हैं और चुनावी अभियान के दौरान इनका भरपूर प्रयोग करते हैं। टिकट पाने से लेकर चुनाव जीतने तक के लिए नेतागण कई उपाय करते रहते हैं, पूजा-पाठ, तंत्र-मंत्र, हवन-यज्ञ, टोटके सहित अन्य धार्मिक प्रयोग चुनावी अभियान का एक हिस्सा बन जाता है। विख्यात ज्योतिषाचार्य श्रीरामानन्द जी महाराज बताते हैं कि कर्मकांड, अनुष्ठान की तीन विधियां बतलायी गयी हैं, लौकिक विधि, तंत्र विधि, वैदिक मंत्र विधि। राजनीति में सफलता के लिए गुरू, सूर्य एवं मंगल का अहम योगदान है। इसलिए इन तीनों ग्रहों की नेतागणों द्वारा विशेष पूजा की जाती है।
गुरू के लिए पुखराज, सूर्य के लिए माणिक्य तथा मंगल ग्रह को अनुकूल करने के लिए ज्योतिषी मूँगा धारण करने को कहते हैं। इन तीनों ग्रहों की अनुकूलता राजनीति में सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। या फिर जिस ग्रह की महादशा चल रही है उसकी अनुकूलता के लिए विशेष पूजा अर्चना की जाती है ज्योतिषाचार्य श्रीरामानन्द जी महाराज बताते हैं कि इसके अलावा राजनीतिज्ञ विभिन्न तरीके से पूजा पाठ कर चुनावी सफलता का उद्यम करते हैं। इसी क्रम में राजनीतिक क्षेत्र में परचम लहराने के लिए शिव उपासना, हनुमान उपासना, रामचरित मानस की प्रभावी चौपाईयां, बाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड का अनुष्ठान विशेष फलदायी साबित होता है। नेतागण विभिन्न अनुष्ठानों में लाखों रूपये भी व्यय करते हैं। श्रीरामानन्द जी बताते हैं कि कर्मकांड, अनुष्ठान की लौकिक विधि में करीब 10 से 20 हजार का, जबकि तांत्रिक विधि में 50 से 70 हजार का व्यय आता है, वैदिक विधि सबसे खर्चीली है जिसमें 70 हजार से लेकर डेढ़ लाख रूपये तक खर्च होते हैं।
Report- Nitin Mishra