कैसे बने अखिलेश बबुआ से बिग बॉस
आपको याद होगा कि कैसे यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद भी विपक्षी पार्टी अखिलेश को बबुआ कह कर कटाक्ष किया करती थी।खुद अखिलेश से पूंछा जाता था कि यूपी में तो साढ़े चार मुख्यमंत्री है। आइये हम आपको बताते है कि पिता मुलायम सिंह यादव से राजनीति का ककहरा पढ़ने वाले अखिलेश यादव अचानक बबुआ से बिग बॉस कैसे बन गए .. ? दरअसल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 403 सीट में 224 विधानसभा सीटो पर सफलता हासिल हुई थी।
लेकिन मुलायम ने बेटे अखिलेश को स्थापित करने के लिए खुद मुख्यमंत्री न बनकर उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया था ।मुलायम का मानना था कि पूर्ण बहुमत की सरकार में अखिलेश को राजनीति और सरकार चलाने में कोई संघर्ष नहीं करना होगा।उधर वह खुद केंद्र की राजनीति में प्रधानमंत्री बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए रास्ता तलाशेंगे।इसी के बाद अखिलेश ने धीरे धीरे पार्टी पर पकड़ बनानी शुरू कर दी। इसके लिये सबसे पहले जनता में अपनी छवि सुधारने की कोशिश अखिलेश ने शुरू की।इसके लिए उन्होंने जितना बिकास पर ध्यान दिया उससे अधिक प्रचार प्रोपोगंडा का सहारा लिया।अपनी छवि बिकास पुरुष के रूप में चमकाने के लिए उन्होंने हॉवर्ट विश्वविद्यालय में पब्लिक पालिसी के प्रोफ़ेसर स्टीव जार्डिग से संपर्क किया।
स्टीव ने 100 प्रोफेशनल की एक टीम बनाई जिसको अखिलेश की छवि चमकाने का काम सौपा गया।स्टीव दुनिया भर में राजनेताओ और लोगो की छवि चमकाने का काम करते रहे है। उन्होंने सबसे पहले यूपी की भौगोलिक स्थिति को समझा और फिर यूपी के एक लाख बूथों पर ऐसे सपा नेताओ को नियुक्त जो अखिलेश की हर योजना को घर घर तक पहुंचाए ही नहीं बल्कि ऐसा प्रचार करे कि लोगो को लगे कि अखिलेश उनके लिए बहुत काम कर रहे है।वंही प्रशासनिक और पुलिस अफसरों को भी हिदायत दे दी गई कि वह इन कार्यकर्ताओ की सुने और इनके बताये काम करे . उधर अखिलेश इन्ही कार्यकर्ताओ से क्षेत्र पार्टी की स्थिति , योजनाओ का फीडबैक और लोगो को जोड़ने की स्थिति की जानकारी लेते रहे और जनता के बीच अपनी छवि चमलाते रहे।
.सूत्रों की माने माने तो यही कार्यकर्ता जनता में यह प्रचार भी करते रहे की जो कर रहे है वह अखिलेश ही कर रहे है।बाद में यही एक लाख सपा कार्यकर्ता अखिलेश के लिए तुरुप का इक्का साबित हुए। जब अखिलेश की जगह मुलायम ने शिवपाल को यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया तो इन्ही एक लाख कार्यकर्ताओ के जरिये अखिलेश ने अपना नया संगठन खड़ा कर लिया और जनता में तैयार अपनी छवि के सहारे विधायको और सपा नेताओ मे यह सन्देश पहुचाने में सफल रहे कि उनकी चुनावी वैतरणी पर हो सकती है तो केवल और केवल उन्ही के सहारे। …
लेकिन मुलायम ने बेटे अखिलेश को स्थापित करने के लिए खुद मुख्यमंत्री न बनकर उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया था ।मुलायम का मानना था कि पूर्ण बहुमत की सरकार में अखिलेश को राजनीति और सरकार चलाने में कोई संघर्ष नहीं करना होगा।उधर वह खुद केंद्र की राजनीति में प्रधानमंत्री बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए रास्ता तलाशेंगे।इसी के बाद अखिलेश ने धीरे धीरे पार्टी पर पकड़ बनानी शुरू कर दी। इसके लिये सबसे पहले जनता में अपनी छवि सुधारने की कोशिश अखिलेश ने शुरू की।इसके लिए उन्होंने जितना बिकास पर ध्यान दिया उससे अधिक प्रचार प्रोपोगंडा का सहारा लिया।अपनी छवि बिकास पुरुष के रूप में चमकाने के लिए उन्होंने हॉवर्ट विश्वविद्यालय में पब्लिक पालिसी के प्रोफ़ेसर स्टीव जार्डिग से संपर्क किया।
स्टीव ने 100 प्रोफेशनल की एक टीम बनाई जिसको अखिलेश की छवि चमकाने का काम सौपा गया।स्टीव दुनिया भर में राजनेताओ और लोगो की छवि चमकाने का काम करते रहे है। उन्होंने सबसे पहले यूपी की भौगोलिक स्थिति को समझा और फिर यूपी के एक लाख बूथों पर ऐसे सपा नेताओ को नियुक्त जो अखिलेश की हर योजना को घर घर तक पहुंचाए ही नहीं बल्कि ऐसा प्रचार करे कि लोगो को लगे कि अखिलेश उनके लिए बहुत काम कर रहे है।वंही प्रशासनिक और पुलिस अफसरों को भी हिदायत दे दी गई कि वह इन कार्यकर्ताओ की सुने और इनके बताये काम करे . उधर अखिलेश इन्ही कार्यकर्ताओ से क्षेत्र पार्टी की स्थिति , योजनाओ का फीडबैक और लोगो को जोड़ने की स्थिति की जानकारी लेते रहे और जनता के बीच अपनी छवि चमलाते रहे।
.सूत्रों की माने माने तो यही कार्यकर्ता जनता में यह प्रचार भी करते रहे की जो कर रहे है वह अखिलेश ही कर रहे है।बाद में यही एक लाख सपा कार्यकर्ता अखिलेश के लिए तुरुप का इक्का साबित हुए। जब अखिलेश की जगह मुलायम ने शिवपाल को यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया तो इन्ही एक लाख कार्यकर्ताओ के जरिये अखिलेश ने अपना नया संगठन खड़ा कर लिया और जनता में तैयार अपनी छवि के सहारे विधायको और सपा नेताओ मे यह सन्देश पहुचाने में सफल रहे कि उनकी चुनावी वैतरणी पर हो सकती है तो केवल और केवल उन्ही के सहारे। …