बिक गया भारतीय समाजवाद का जन्मस्थान ,समाजवादी पुरोधा नरेंद्र देव की कोठी बन गई होटल





acharya narendra dev home

 उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार भले ही समाजवादी चिन्तक राम मनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र के नाम पर स्मारक बना रही हो लेकिन समाजवादियो के लिए यह खबर जितनी दुखभरी है उतनी चौकाने वाली भी है, भारतीय समाजवाद के पितामह आचार्य  नरेंद्र देव  की  कोठी बिक गई और यूपी की  समाजवादी सरकार बस उसको बिकता हुआ देखती भर रही | समाजवाद  की जन्मभूमि और दो प्रखर समाजवादी विचारको आचार्य नरेंद्र देव और और डाक्टर राम मनोहर लोहिया के मिलन की गवाह यह कोठी 32 कमरों और 101 दरवाजो , खिडकियों वाली है| यह कोठी  1934 से 1937 तक राजनैतिक गतिबिधियो का केंद्र रही थी| अब इसकोआलीशान होटल में तब्दील किया जा चुका है | ऐसा भी नहीं कि यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इसकी जानकारी नहीं थी लेकिन समाजवादी विचारधारा की बात करने वाले समाजवादी नेता खामोश ही रहे|आश्चर्य की बात यह कि पुरातात्विक धरोहर गुलाबबाड़ी से सटी होने के कारण पुरातत्व विभाग के उप निदेशक ने इस अवैध निर्माण को रोकने और मुकदमा दर्ज करने के लिए फरवरी 2015 से जिले के हर प्रशाशनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक से पत्राचार किया था |




 आचार्य की कोठी में बिखरा है समाजवाद का इतिहास

 फैजाबाद जिले के नरेंद्र देव नगर और रेलवे स्टेशन से चन्द कदम की दूरी पर स्थित इस कोठी के बिकने से न सिर्फ समाजवादी पुरोधा नरेंद्र देव से जुडी अमूल्य धरोहर विखर रही है बल्कि इतिहास के आईने से झांकती न जानी कितनी स्मृतियों को भी धुंधला कर रही है |चन्द्रशेखर आजाद ,राम प्रसाद विस्मिल और सरदार भगत सिंह की अनगिनत बैठको के बाद इस कोठी में जन्म हुआ था भारतीय समाजवाद का | 1934 में कांग्रेस के भीतर कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन हुआ था। आचार्य नरेंद्र देव उसके चेयरमैन बने व जयप्रकाश नारायण महामंत्री। इलाहाबाद के बाद देश में राजनीति का दूसरा बड़ा केंद्र था फैजाबाद। आनन्द भवन कांग्रेस गतिविधियों का केंद्र था और आचार्य जी की कोठी समाजवादी गतिविधियों का केंद्र बनी। 1934से 37 तक जवाहर लाल नेहरू, गोविंद बल्लभ पंत, मीनू मसानी, जयप्रकाश नारायण, हरकिशन सुरजीत आदि नेताओं की बैठकों का सिलसिला फैजाबाद के इसी भवन में चलता रहा । 1938में आचार्य नरेंद्र देव के नेतृत्व में सोशलिस्ट पार्टी का गठन हुआ। जयप्रकाश नारायण, डॉ. जेबी कृपलानी और डॉ. राम मनोहर लोहिया उनके सहयोगी बने । यही नहीं लाईट आफ एशिया से लेकर रिवोल्यूशन तक का मंचन इसी कोठी में हुआ था | ऐसी न जाने कितनी स्मृतियों को स़जोए यह कोठी अब बिक कर होटल में तब्दील हो चुकी है और पुरातत्व धरोहर के नजदीक इसके बिस्तारीकरण का अवैध निर्माण निरंतर जारी है |पुरातत्व अधिकारी की लगातार शिकायतों के बाद भी अधिकारियों का मौन रहना लोगो को आश्चर्य में डाल रहा है, वह भी तब जब यह सब हो रहा है तब समाजवादी पार्टी की ही यूपी में सरकार रही है|




क्या कहते है जानकार

वरिष्ठ पत्रकार बी एन दास बताते है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जहा लोहिया जी और जनेश्वर मिश्र के नाम पर स्मारक बना रहे है कार्यक्रम कर रहे है जबकि आचार्य नरेंद्र देव जो समाजवाद के पुरोधा थे और समाजवादियो को इकट्ठा करके जो समाजवादी आन्दोलन की आधारशिला तैयार की थी वह अगर होटल में बदल जाए तो यह अजीबोगरीब कहानी है और ए एस आई के प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध निर्माण हो और प्रशाशन चुप्पी साधे  रहे यह भी आश्चर्यजनक है और यहां के मंडलीय अधिकारी जो है पुरातत्व के उनका कहना है कि 5 फरवरी 2015 को ही उन्होने एफ आई आर दर्ज करने के लिए पत्र भेजा था उस पर अभी तक कोई कारवाई नहीं हुई तो यह कहानी समझ नहीं आती लिहाज इस कहानी के पीछे की जांच होनी चाहिए |




यह तर्क देते है खरीददार
 इस कोठी को खरीदकर होटल बनाने वाले तम्बाकू व्यवसाई इस सबसे बिलकुल अनजान बनते है कहते है उन्हें न तो खरीदने से किसी ने रोका और न इसके पीछे उन्हें किसी विवाद की कोई जानकारी है| हालांकि  एक बार जब इनके अवैध निर्माण की जांच करने विकास प्राधिकरण  की  टीम कोठी पहुँची थी तो इन्ही लोगो ने घुसने तक नहीं दिया था और उन्हें गेट से ही बैरंग वापस लौट जाना पड़ा था| आखिर इतनी ताकत समाजवादी सरकार के दौरान इन्हें मिली कहाँ  से थी यह भी अभी तक सवाल ही है|




राज में लिपटा है कोठी का सीज होना और खुलना

मीडिया की सुर्खियों के बाद आचार्य नरेंद्र देव की कोठी और परिसर में अवैध निर्माण करा रहे लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया था | वंही अचानक हरकत में आये अयोध्या फैजाबाद विकास प्राधिकरण ने बिना अनुमति निर्माण को लेकर प्रापर्टी सीज कर दी थी | यह कोठी  ऐतिहासिक गुलाब बाड़ी से सटी है जिसको लेकर पुरातत्व विभाग इस अवैध निर्माण के खिलाफ लगातार आपत्ति जता रहा था और सम्बंधित लोगो के खिलाफ अवैध निर्माण करने और पुरातात्विक धरोहर को नुकसान पहुचाने का मुकदमा दर्ज करने को लेकर पुलिस और प्रशाशनिक अधिकारियों को पत्र  लिख रहा था | इसी आधार पर पुलिस ने पुरातत्व विभाग के उसी शिकायती पत्र को संज्ञान लेते हुए 9 लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर किया था और अवैध निर्माण को लेकर प्रापर्टी सीज कर दी थी , लेकिन जिस तरह सीज किया गया था उसी तरह उसे क्यों  खोल दिया गया यह अभी तक राज ही है जिसकी पड़ताल भी जरुरी है| अब कोठी के खरीददारों में एक ज्ञान प्रकाश मोटवानी कहते है मुझे कोई नोटिस नहीं मिली थी वह तो जब विकास प्राधिकरण वाले सीज करने आये थे तब पता चला था| क्यों सीज करने आये थे मुझे नहीं पता यह तो वह बताएंगे क्यों सीज किया था क्यों खोल दिया |
 




नरेन्द्रदेव की परपोती राजश्री ने भी लगाईं थी मुख्यमंत्री अखिलेश से गुहार

इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कोठी के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही नरेंद्र देव जी की पोतीराजश्री खत्री ने यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिख कर मांग की थी कि जो हिस्सा कोठी का नही बिका है उसे आचार्य नरेंद्र देव और उनके भाईओ के नाम स्मारक के रूप में बनाया जाय और अगर सरकार चाहे तो जिन्हे दो हिस्सा कोठी का ख़रीदा है उनको मुआबजा देकर बाकी हिस्सों को भी स्मारक बना सकती है।




नरेंद्र देव की पोती राजश्री खत्री के शब्दों में उनकी फ़रियाद

मुआवजा देकर उसे नरेंद्र देव समेत तीनो नाना के नाम का संग्राहलय बनाया जाय | यंहा पुस्तकालय था कहाँ  गया | 1953 में रहा था  उसका एक तिहाई हमारे नाना महेंद्र देव वर्मा जी का था और उस हिस्से को मेरे सगे छोटे भाई राजकुमार सहगल ने अपने नाम कर रखा है उसमे विद्यालय चल रहा है जिसका किराया वह स्वयं लेते है और उसको भी बेचने के फिराक में है लेकिन मैं नहीं चाहती कि वह बिके वहां स्मारक होना चाहिए | मैंने जिलाधिकारी से कहा है कि इसकी जांच करे क्योकि मेरे नाना ने एक एक मकान चारो लडकियों के नाम किया था इसको स्मारक बना दे या मुआवजा देकर पूरे को स्मारक बना दे | मैंने मुख्यमंत्री जी से कहा है कि मेरे तीनो नाना अपने -अपने क्षेत्र में नामी थे उन्होंने समाज सेवा से जुड़े भी कई काम किये है लिहाजा वह पूरे मकान को मुआवजा देकर अधिग्रहित कर ले नहीं तो उनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा |

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