यूपी में बड़ा बदलाव , ब्राह्मण ,क्षत्रिय और ओबीसी में बंटी सत्ता




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यूपी में भाजपा ने बड़ा बदलाव किया है । तीन प्रमुख जातिओ में सत्ता का विभाजन करते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए योगी आदित्यनाथ के जरिये हिंदुत्व के साथ क्षत्रिय गणित को साधा है । वंही दिनेश शर्मा के नाम के सहारे विकास और ब्राहाम्ण वोटों की बिसात खेली है , तो केशव प्रसाद मौर्या के जरिये अति पिछड़ा वर्ग को भी सत्ता में भागीदारी का बड़ा मौक़ा दिया है । इस तरह भारतीय जनता पार्टी ने यूपी में अपनी बड़ी जीत के साथ सारे सियासी समीकरणों को इन तीन नामो के सहारे इस बार मोदी 2019 के लोकसभा रण का आगाज आने वाली 18 तारीख को काशीराम स्मृति कुजं से शपथ ग्रहण के साथ  कर देंगे ।




योगी आदित्यनाथ —
योगी आदित्यनाथ को फायर ब्रांड हिन्दूवादी चेहरे के रूप में जाना जाता है . वह गोरखपुर से बीजेपी सांसद है और कई बार से जीतते आ रहे है . यूपी चुनाव में वोटो के धुर्वीकरण में इनकी बड़ी भूमिका रही है . छात्र जीवन से ही विद्यार्थी परिषद् में काम कर रहे हैं.योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल का बड़ा हिन्दू चेहरा हैं . इस बार इनका नाम तेजी से भावी मुख्यमंत्री के तौर पर उठा है क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी योगी ने जमकर प्रचार किया है.और इनकी मांग भी चुनाव के दौरान बहुत रही ..




केशव प्रसाद मौर्य — केशव प्रसाद मौर्य भी सीएम पद की रेस में हैं. यह पिछड़ी जाति मौर्य से आते हैं जिसकी तादाद गैर यादव जातियों में सबसे ज्यादा है. यूपी बीजेपी के अध्यक्ष और फूलपुर से लोक सभा सांसद है और संघ के करीबियों में माने जाते है . चुनाव में मौर्य अच्छे वक्ता साबित हुए और उन्हें पार्टी के लिए सबसे ज्यादा 155 चुनावी सभाएं की हैं. बीजेपी में पिछड़ी जाति का चेहरा कहे जाने वाले मौर्य को अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी की खोज माना जाता है हालाकि केशव प्रसाद मौर्य पर दर्ज आपराधिक मुक़दमे राह में रोड़ा जरुर बन सकते हैं.




दिनेश शर्मा—
वर्तमान में लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा आरएसएस से जुड़े रहे है .दिनेश शर्मा वर्तमान समय में यूपी में भाजपा के उपाध्यक्ष हैं और गुजरात में पार्टी प्रभारी भी हैं. दिनेश शर्मा को मोदी का काफी करीबी माना जाता है . दिनेश शर्मा के बुलावे पर ही पीएम ने दशहरे पर लखनऊ के रामलीला कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. दिनेश शर्मा को संगठन के चेहरे के रूप में तो जाना जाता है लेकिन इनकी एक पहचान पर्दे के पीछे रहने वाले नेता के रूप में भी है. हलाकि दिनेश शर्मा ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा, और न ही विधायक या सांसद रहे, लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं के करीबी रहे हैं. इनकी सबसे बड़ी बात इनकी ईमानदार छवि है जो राजनाथ सिंह के बाद इनको मुख्यमंत्री का सबसे बड़ा दावेदार बनाती है ..

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