जीत बीजेपी की या EVM की ! चुनाव के बाद उठते सवाल
लखनऊ- भाजपा की नगरीय निकायों के चुनाव में जीत के बाद विपक्षी दलों ने फिर से हार का सारा ठीकरा EVM यानि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर फोड़ दिया. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव हो या बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती या निर्दलीय प्रत्याशी, हर कोई EVM पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे है. ऐसा नहीं की यह आरोप बेबुनिया हो, इसके पीछे सबका अपना तर्क भी है. सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि जहाँ ईवीएम से चुनाव हुए है वहां पर भाजपा को 46 फीसदी सीटें जीती तो वही इसके विपरीत जहाँ पर बैलेट पेपर से चुनाव हुए है वहां पर केवल 15 फीसदी सीटें ही जीत सकी है. इसके साथ ही बसपा की अध्यक्ष मायावती का कहना है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ईवीएम में गड़बड़ी हुई थी. अगर 2019 में चुनाव में बैलेट पेपर से होते है तो भाजपा की हार होगी. तो इन सब आरोपों पर सफाई से हुए भाजपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पाण्डेय ने इन आरोपों को निराधार बताया है. तो सवाल उठता है किसके आरोप सही है.
ईवीएम पर आरोप की वजह
प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव में भाजपा की जीत के बाद फिर कटघरे में ईवीएम आ गयी है. सबकी अपनी दलीलें है, अपने तर्क को सच साबित करने के लिए. इसकी जमीनी वजह पर जायें तो पता चलता है कि निर्दल खड़े प्रत्याशियों को जितना वोट पाने की उम्मीद थी उतना भी नहीं मिला है. तो वही बड़ी पार्टियों का भी यही हाल है. इसके साथ ही जो जमीनी गढ़ित लगाकर चुनाव लड़ा जाता है, नतीजा आने के बाद वह बिलकुल जुदा होता है. हद तो तब हो जाती है जब खुद के परिवार और क्षेत्र के वोट भी नहीं मिलते. ऐसे में लोग इल्जाम ईवीएम पर न लगाये तो किसपर लगायें.