फूल -चंदा -और सूरज .. अजब प्यार की गजब कहानी




phool aur suraj love story
 
फिल्म हम दिल दे चुके सनम में अजय देवगन अपनी पत्नी को उसके प्रेमी से मिलाने के लिए पूरी फिल्म में प्रयासरत रहते है लेकिन अंततः जब मिलने का समय आता है तो पत्नी को अपने पति से प्यार हो जाता है और वह प्रेमी के बजाय अपने पति की हो जाती है , यह कहानी तो फ़िल्मी है लेकिन उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में फूल -चंदा -और  सूरज  की  कहानी ने फ़िल्मी पटकथा को भी बहुत पीछे छोड़ दिया है | इस कहानी में जितना प्यार है उससे अधिक समर्पण भी है ,पत्नी की खुशियों के लिए पति की कुर्बानी है तो प्रेमी के लिए उस प्यार को पाने की खुशियाँ भी है जो प्यार उसके बजाय किसी और के घर को महका रहा था ,  लेकिन ऐसा कुछ हुआ जो अक्सर देखने और सुनने को नहीं मिलता  ,और इसी से जन्म हुआ फूल -चंदा  और सूरज की अजब प्यार की गजब कहानी का जो अविश्वसनीय है तो अकल्पनीय भी |
फिल्मो में ही होता है ऐसा बलिदान

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फिल्मो जैसी पटकथा और बलिदान की जीवंत कहानी उत्तर प्रदेश के  फैजाबाद जिले से है जहाँ एक पति ने अपनी पत्नी की ख़ुशी के खातिर उसकी शादी उसके प्रेमी से करा दी और खुद उसने अपने अरमानो का गला घोंट दिया। उसने अपनी पत्नी की खुशी के लिए वो कर दिखाया जो शायद आम इंसान सपने में भी नहीं सोच सकता। उसने दुनिया को प्यार के असल मायने समझा दिए कि प्यार का मतलब किसी को हासिल करना नही बल्कि उसकी दीवानगी में खुद को लुटा देना होता है।



जब चंदा को प्यार हुआ सूरज से और मुरझा गया फूल 

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 दरअसल फैजाबाद के चौरे बाज़ार के रहने वाले फूलचंद का विवाह दो साल पहले पास के ही गाँव की रहने वाली चंदा से हुआ था । लेकिन चन्दा तो किसी और को ही अपना दिल दे बैठी थी । घर वालो ने चन्दा की शादी उसकी मर्जी के बगैर ही फूलचंद से करा दी। दोनों की शादी बड़े ही धूम धाम से हुयी थी। बड़े अरमान के साथ फूलचंद अपनी पत्नी चन्दा को ब्याह कर अपने घर लाया । कुछ दिन दोनों साथ भी रहे और फिर रोज़गार के खातिर फूलचंद बाहर कमाने चला गया। और एक दिन अचानक गाँव में उसका प्रेमी सूरज दिखाई  दिया। चन्दा और सूरज के बीच का प्यार फिर परवान चढ़ने लगा। दोनों के बीच मोहब्बत का सिलसिला फिर शुरू हो गया और जब दो साल बाद फूलचंद अपने गाँव कमा कर लौटा तो उसकी पत्नी ने सब कुछ सच सच बता दिया। पहले तो फूलचंद नाराज़ हुआ लेकिन कहते है  कि किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपको मिलाने में लग जाती है। और फिर फूलचंद ने भी अपनी पत्नी का दूसरा विवाह उसके प्रेमी से कराने की सोच ली। फूलचंद कहता है मेरी शादी चन्दा से हुई थी
| मैंने सोचा की उसको कितनी खुशिया दूं लेकिन वह उससे संतुष्ठ नहीं हुई बोली मैं सूरज से प्यार करती हूँ मैंने सोचा ठीक है मैं उससे शादी करा देता हूँ  | चन्दा का प्रेमी सूरज था | इसके बाद मैंने चन्दा से नंबर लिया उसके बाद मैंने उसको बुलवाया और प्रधान जी को बुलवाया और उसके बाद शादी कराया उसकी| मैंने उससे कहा तुम जाओ तुम वहां  खुश रहो मेरी कोई बात नहीं है |

आसान नहीं था फूल के लिए चंदा को सूरज से मिलाना

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फूलचंद के लिए ये इतना आसान नही था लेकिन अपनी पत्नी की खुशी के लिए उसने अपने सीने का पत्थर रख लिया। उसने अपने जज्बातो का गला घोंट दिया और गाँव के प्रधान व कुछ अन्य लोगो की मदद से सूरज के घर रिश्ते की बात पहुंचाई । सूरज भी तो यही चाहता था। वैसे भी सूरज और चन्दा तो एक दुसरे के लिए ही बने थे । सूरज की बरात फूलचंद के गाँव आयी और फिर गाँव के ही एक मंदिर में दोनों का विवाह धूम धाम से कराया गया। यह शादी जितनी फूलचंद  के गाँव के लोगो के लिए  अविश्वसनीय और  अकल्पनीय थी उतनी ही सूरज के गाँव  के लोगो के लिए भी| शादी में बाराती बनकर गए सूरज के पड़ोसी उमादित्य उपाध्याय बताते है कि जब यह सुनाई दिया कि सूरज की शादी हो रही है और उस लडकी से हो रही है जिसकी शादी पहले ही हो चुकी है और उसकी ससुराल वाले ही शादी कर रहे है| उसको  तो विश्वास नहीं हुआ लेकिन वहां गए तो देखा लेकिन यह अविश्वसनीय   बात थी लेकिन गाँव की बात है तो विश्वास करना पड़ रहा है| वह लोग वंहा से आये और खुशहाल है|  ऐसा न हमने कभी सूना न अपने जीवन में कभी देखा लेकिन अब देखा तो विश्वास हुआ |

लोग कहते है जीवन का अविश्वसनीय पल था वह 

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 फूलचंद ने प्यार निभाने के लिए अपने प्यार की कुर्बानी दे दी। दो बिछड़े दिलो को तो मिला दिया लेकिन खुद अकेला रह गया। अब सूरज के माता पिता हो या फिर इस शादी में शरीक हुआ कोई बराती ,सभी हमेशा के लिए  सूरज  और  चन्दा को एक साथ खुशहाल ज़िंदगी जीने की दुआये दे रहे हैं लेकिन जो भी इस शादी और प्रेम कहानी का गवाह बना वह बस यही कहता है कि उसके जीवन का अविश्वसनीय पल था वह  जो वह देख रहा था और उसके सामने ही घटित हो रहा था | उस पर विश्वास नहीं हो रहा था | ग्राम प्रधान रविन्द्र यादव कहते है गाँव में कोई पति अपनी पत्नी की शादी दुसरे से करे ऐसा कहानी में तो है लेकिन वास्तविकता में नहीं होता कि कोई ऐसा करे | हम लोगो ने तहकीकात की तो पता चला कि चन्दा शादी करना चाहती थी सूरज से हमने फूलचंद्र से पूछा तो उसने भी सहमति दे दी यह विश्वास  नहीं हो रहा था  लेकिन जब मंदिर में शादी हुई तो गाँव में कोई पति अपनी पत्नी की शादी दूसरे से करे ऐसा कहानी में तो है लेकिन वास्तविकता में नहीं होता कि कोई ऐसा करे |  यह सचमुच अविश्वसनीय है|

सूरज की हो चुकी चन्दा का यह है कहना  

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प्यार के अविश्वसनीय है और अकल्पनीय डगर पर आज भी चंदा और सूरज जन्म -जन्म साथ रहने की कसमे खा रहे है और एक वाक्य जो दोनों की जुबान से एक साथ निकल रहा है तो वह है साथ साथ जीने मरने और सूरज और चन्दा की जोड़ी को अमर करने की बात  ….और एक दूसरे का साथ न छोड़ने की बात  .. जो हमारे लिए अविश्वसनीय है तो अकल्पनीय भी कि आज के जमाने में भी ऐसा प्यार होता है जो इतिहास को भी पीछे छोड़ दे | सचमुच अविश्वसनीय | चंदा कहती है चाहे जो हो हर सूरज गर्मी देता है सब नहीं देता हमारे दोनों की जोड़ी हमेशा बनी रहेगी सूरज और चन्दा की जोड़ी |  हमारी शादी फूलचंद्र से हुई थी एक साल बाद हमारा सूरज का रिलेशन हुआ यह भी हमको बहुत चाहते थे हम भी इनको बहुत चाहते थे | हम दोनो जीवन  एक साथ बिताना चाहते थे फिर हम दोनों की शादी हो गई | यह जोड़ी हमेशा यूँ ही रहेगी जब तक हम मर नहीं जाएंगे चन्दा और सूरज की जोड़ी |

चंदा  के प्रेमी से  पति बने सूरज का यह है कहना  

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जिस गाँव में चन्दा की शादी हुई थी उसी गाव में मेरे मौसी का घर था | एक साल बाद मेरे चंदा से रिलेशन हो गया यह कही कि मुझे तुम्हारे साथ ही रहना है फिर प्यार होता गया और बढ़ता गया इसके बाद चन्दा के घर वालो को पता चल गया और उन्होंने हमारी शादी करा दी तब से हम साथ -साथ है .. पहले चन्दा की फूल से शादी हुई फिर चन्दा को सूरज से प्यार हो गया न चन्दा सूरज के बिना रह सकती थी न सूरज चन्दा के बिना बस प्यार हो गया और शादी हो गई |

फूल के गावं और घर पर क्या है हाल

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हमने सूरज के घर जाकर इस अविश्वसनीय और अकल्पनीय सच को एक बार फिर परखने की कोशिश की  … तो हमें चन्दा और सूरज के प्यार की मिठास से रूबरू होना पडा वही प्यार जिसके लिए चन्दा ने अपने पहले पति फूल का साथ छोड़ दिया तो सूरज ने अपने प्यार के लिए एक शादी शुदा महिला को उसके ससुराल से लाकर अपना जीवन साथी बना लिया  ….लेकिन फूलचंद्र के परिवार वालो को आज भी चन्दा के यूँ उसका घर छोड़ कर चले जाने को लेकर मलाल है और टीस भी|  फूल के बाबा दर्शन कहते है साहब वह जब चाहती ही नहीं थी तो चली गई अब न घर में खराबी थी न हमारे लड़के में लेकिन उसकी बुद्धि खराब थी का करे | वंही सूरज के पिता माता प्रसाद कहते है जो हुआ अच्छा हुआ ,मेरा एक ही बेटा है वह उसको चाहता था | अब वह मेरे परिवार का हिस्सा है वह जैसे भी होगा हमारे परिवार में बहुत खुश रहेगी |

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