खून की कमी से मरी रेनू , शव के लिये नहीं मिली एम्बुलेन्स

mahila hospita faizabad renu ki maut

यूपी में विकास के दावे के बीच सरकारी अस्पताल की जो तस्वीर शनिवार की रात्रि देखने को मिली वह दहला देने वाली है। रात लगभग 9  बजे चार -पांच लोग कपडे में लिपटे एक  शव उठाए महिला अस्पताल से बाहर निकल रहे थे। . उनके पीछे रोते कुछ स्त्री पुरुष चल रहे थे।साथ में कुछ पुलिसवाले भी चल रहे थे  . पता चला की अस्पताल में  गर्भवती रेनू की मौत होने के बाद घंटो जब सरकारी एम्बुलेन्स नहीं मिली तो शव को बाहर लेकर चल रहे है कोई इंतजाम होगा तो ले जाएंगे।हालांकि सड़क पर आते ही एक निजी एम्बुलेन्स मिल गई और परिवार उसपर शव लेकर अस्पताल को कोसता हुआ चला गया  .. 

 दरअसल शुक्रवार को जिले के खजुरहट क्षेत्र की रहने वाली 22 वर्षीय गर्भवती रेनू को घर वालो ने फैज़ाबाद महिला अस्पताल में भर्ती कराया।शुक्रवार को आपरेशन से बच्ची के जन्म होने के 3  घंटे बाद रेनू की मौत हो गई। .परिवार का आरोप है की मरने से पहले डाक्टर ने उनसे रेनू में खून काम होने और लाने की बात कही और जब तक उन्होंने परिवार के अन्य सदस्यो को बुलाया तबतक उसकी मौत हो गई।परिवारवाले कहते है  वह आपरेशन से पहले ही अगर  खून कम था तो इंतजाम की बात कह सकते थे तो आज रेनू ज़िंदा होती  …इस घटना के बाद पुलिस भी आई लेकिन सरकारी अस्पताल का मामला होने के चलते उसकी भूमिका महज मूक दर्शक तक ही सीमित रही  …  

लेकिन अमानवीयता का सबसे बड़ा उदाहरण तो इसके बाद देखने को मिला।  मौत के बाद रात को 30  किलोमीटर दूर शव ले जाने के लिए एक अदत एम्बुलेंस की आवश्यकता थी लेकिन घंटो रोने चिल्लाने और फ़रियाद के बाद भी जिला महिला अस्पताल ने शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस मुहैया नहीं कराई। इसके बाद परिजनों ने निजी एम्बुलेंस के लिए इधर उधर हाथ पाँव मारे लेकिन देर होती देख उन्होंने खुद ही शव को उठा लिया और अस्पताल के बाहर शव को लेकर सड़क की और बढ़ चले अस्पताल को कोसते हुए। .. वह तो शुक्र है की सड़क पर आते ही उनकी बुलाई निजी एम्बुलेंस आ गई जिसपर रखकर वह रोते चले गए  … इस बारे में रात को पीड़ित के परिजनों के अलावा सभी कुछ भी बोलने से बचते रहे और रविवार को कोई भी इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है  … 

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