नौकरी के बिना नहीं देंगे वोट
फैजाबाद -नौकरी नहीं तो वोट नहीं ये फैसला किया है उन युवाओं ने किया है| जो ग्राम विकास अधिकारी पद के लिए आयोग से चयनित कर जिलो पर न्युक्ति पत्र लेने के लिए भेजे गए है लेकिन जिला प्रशासन के रवैये से नाराज सैकड़ों युवाओ ने इस बात का फैसला किया है कि उन्हें न्युक्ति पत्र नहीं दिया गया तो वे इस बार मतदान का बहिष्कार करेगे| उत्तर प्रदेश के चुनाव की घोषणा के बाद जिलों में आचार्य संहिता का कडाई से पालन तो लाजमी है किन्तु ऐसे मामले जिनकी आचार सहिता का नियम ही इजाजत देता है| ऐसे में आचार संहिता की आंड में दूर दराज के कई जिलों के युवा जो अधिकारीयों की चौखट चूम रहे है| मामला ग्राम पंचायत अधिकारीयों को न्युक्ति पत्र जारी करने के सम्बन्ध का है|
आचार सहिता लागू होने के बाद मुख्य सचिव राहुल भटनागर की देख-रेख में स्क्रींनिग कमेटी ने मूल्यांकन किया कि आचार सहित के नियमों में न्युक्ति पत्र जारी करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए है| इसके अनुसार प्रदेश के सभी जिलाधिकारियो को पत्र भी जारी किया गया है| जिसका अनुपालन करके कई जिलों में न्युक्ति भी की जा रही है| लेकिन फैजाबाद के ग्राम पंचायत अधिकारी के लिए चयनित अभ्यर्थी जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी से मिलने के बाद भी दर दर की ठोकरे खा रहे है है | कारण है अधिकारियों का सही और संतोष जनक जबाब न देना| ऐसे में अब सैकड़ों युवाओं ने चुनाव बहिष्कार का मन बनाया है | तो सवाल यह उठता है कि अधिकारी आखिर क्यों न्युक्ति पत्र नहीं दे रहे है | वजह चाहे जो भी हो पर इससे चुनाव आयोग की उस मुहीम को जरूर झटका लगेगा जो हर किसी को मतदान के लिए प्रेरित करती है |
आचार सहिता लागू होने के बाद मुख्य सचिव राहुल भटनागर की देख-रेख में स्क्रींनिग कमेटी ने मूल्यांकन किया कि आचार सहित के नियमों में न्युक्ति पत्र जारी करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए है| इसके अनुसार प्रदेश के सभी जिलाधिकारियो को पत्र भी जारी किया गया है| जिसका अनुपालन करके कई जिलों में न्युक्ति भी की जा रही है| लेकिन फैजाबाद के ग्राम पंचायत अधिकारी के लिए चयनित अभ्यर्थी जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी से मिलने के बाद भी दर दर की ठोकरे खा रहे है है | कारण है अधिकारियों का सही और संतोष जनक जबाब न देना| ऐसे में अब सैकड़ों युवाओं ने चुनाव बहिष्कार का मन बनाया है | तो सवाल यह उठता है कि अधिकारी आखिर क्यों न्युक्ति पत्र नहीं दे रहे है | वजह चाहे जो भी हो पर इससे चुनाव आयोग की उस मुहीम को जरूर झटका लगेगा जो हर किसी को मतदान के लिए प्रेरित करती है |