यूपी कंगाल फिर भी चुनावी लालीपाप की भरमार .!

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चुनावी सीजन है । सहालक का समय है । लिहाजा हर नेता और पार्टी की दूकान पर एक से बढ़कर एक ऑफर है ।कोई फ्री में प्रेशर कुकर तो कोई फ्री में स्मार्ट फोन दे रहा है तो देशी घी और मिल्क पाउडर का ऑफर भी है। यानि वोट देकर सत्ता के सिंहासन पर बैठाओ और अपना रिटर्न गिफ्ट लो । यह कैसी पॉलिटिक्स है ,कैसे नेता हैं जो सत्ता के लिए लोगों से सौदेबाजी करते हैं । अगर सत्ता मिल गई तो जनता के ही पैसे को अपने चुनावी ऑफर में बर्बाद कर देते हैं और अगर सत्ता ना मिली तो उनका जाएगा ही क्या …?  राजनीति का यह अजब धंधा है ।  जिसमें ऑफर की कीमत तो जनता से वसूली जाती है और सत्ता की मलाई खुद खाई जाती है ।हालांकि अभी यूपी चुनाव में और पार्टीयो ने अपने पत्ते नहीं खोले है जब उनके ऑफर आएँगे तो हम उनका भी विश्लेषण करेंगे लेकिन अभी समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव चुनावी लॉलीपॉप देने में सबसे आगे निकल गए हैं।
यूपी चुनाव 2017 में अखिलेश का चुनावी ऑफर 
  1.  गरीब बच्चों को हर महीने मुफ्त में 1 किलो घी और एक किलो मिल्क पाउडर 
  2.  18 साल से अधिक हर बच्चे को मुफ्त में समाजवादी स्मार्टफोन 
  3.  गरीब महिलाओं को मुफ्त में प्रेशर कुकर
  4. एक करोड़ लोगों को हर महीने समाजवादी पेंशन
ये थे इस बार जे अखिलेश राजनीतिक दुकान के स्पेशल ऑफर । इसी ऑफर के चलते अखिलेश और उनके समर्थको को इस बार भी यूपी की सत्ता पर काबिज होने का भरोसा है । 
अखिलेश की दुकान में पिछली बार क्या था ऑफर …
दरअसल अखिलेश यादव ने पिछली बार 2012 के यूपी चुनाव में मतदाताओं को कई ऑफर दिए थे । राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यही ऑफर उनके लिए वरदान साबित हुए थे । जिसने ना सिर्फ उन्हें यूपी में अप्रत्याशित तौर पर मुख्यमंत्री की कुर्सी दिला दी थी बल्कि उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत भी दिला दिया था । लिहाजा इस बार अखिलेश ने अपनी दुकान पर ऑफर की झड़ी लगा दी है । हमने आपको बताया कि  2017 के यूपी चुनाव में उनके स्पेशल ऑफर कौन-कौन से हैं । अब हम आपको बताते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव 2012 में उन्होंने कौन-कौन से ऑफर दिए थे । 
  1. 12वीं पास गरीब छात्राओं को 30,000 रुपए विद्या धन देने का वादा 
  2. 12वीं पास हर छात्र को लैपटॉप देने का वादा 
  3. 10वीं पास हर छात्र को टैबलेट देने का वादा 
  4. बेरोजगारी भत्ते का वादा
वादे हुए पूरे या रह गए वादे 
जिन वादों के सहारे अखिलेश यादव को 2012 में यूपी की कुर्सी मिली उन वादों में से कितने वादे पूरे हुए और कितने बस वादे बनकर रह गए।
1-सत्ता के रिटर्न गिफ्ट के बदले 12वीं पास छात्रों को लैपटॉप देने के ऑफर पर सत्ता पाने के पहले साल अखिलेश यादव ने 15 लाख छात्रों को लैपटॉप बाटे लेकिन अगले ही साल पिता मुलायम सिंह यादव ने कहां की अखिलेश के लैपटॉप पर लोग मोदी का भाषण सुनते थे इसीलिए लोकसभा चुनाव में मोदी जीत गए लिहाजा पहले साल के बाद अखिलेश यादव अपने दिए हुए वादे और चुनावी ऑफर से मुकरते दिखाई दिए उन्होंने 12वीं पास हर छात्रों को लैपटॉप देने के बजाय केवल 1 लाख मेघावी छात्रों को ही लैपटॉप दिए यानि बाकी छात्रों के लिए उनके वादे बस वादे ही बनकर रह गए।
2- जबकि दसवीं पास छात्रों को टैबलेट देने का वादा बस चुनावी ऑफर तक ही रहा । दसवीं पास छात्र बड़ी उम्मीदों से बस टैबलेट पाने का इंतजार ही करते रह गए और साथी बीते 5 सालों में बस यही गुनगुनाते रहे वादा तेरा वादा क्या हुआ तेरा वादा।
3-यही नहीं कन्या विद्याधन और बेरोजगारी भत्ते पर भी रोक लगा दी गई ।यानि अखिलेश का यह वादा भी बस चुनावी ऑफर तक सीमित रहा ।
हमने यूपी के चुनावी सीजन में अखिलेश की दुकान के ताजातरीन स्पेशल ऑफर बताएं तो 2012 के उनके वादे भी गिनाए अपने वादे पर वह कितने खरे उतरे इसका विश्लेषण भी हमने किया । अब 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में नए ऑफर के साथ अखिलेश यादव एक बार फिर सबसे आगे चलते दिखाई दे रहे हैं । हालांकि अभी कई पार्टियों के ऑफर आने बाकी हैं । देखना यह है कि वह अपनी राजनीतिक दुकान से कौन से स्पेशल ऑफर का लॉलीपॉप यूपी की जनता को देते हैं । लेकिन हम यह बताना भी जरूरी समझते हैं कि इस तरह के चुनावी ऑफर से आम आदमी को और यूपी को कितना नुकसान होता है।
चुनावी ऑफर से कैसे जनता होती है कंगाल और नेता होते है मालामाल !
चुनावी सीजन में भले ही राजनेता और पार्टियां अपनी अपनी दुकानों को चमका कर चुनावी लाली पाप का पिटारा खोल देती हो,  लेकिन इन ऑफर से जनता का कोई भला नहीं होता । भला होता है तो केवल राजनेता का और राजनीतिक पार्टियों का । किसी को कुर्सी मिल जाती है तो किसी को सत्ता । नुकसान होता है तो जनता को प्रदेश का और फिर देश का । हम आपको बताते हैं की मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश बिहार के बाद दूसरे नंबर का प्रदेश है, जहां के व्यक्तियों की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है । दूसरे शब्दों में कहें तो कमाते कम है यानि रोजगार के साधन कम है । लिहाजा आमदनी भी कम है। अब आपकी आंखें खोल देने वाला एक और आंकड़ा आपको बताते हैं ।देश में पंजाब के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा ऐसा प्रदेश है जो सबसे अधिक कर्जदार है । यहां हम आपको बता दें कि प्रदेश के कर्जदार होने का मतलब है उस प्रदेश के रहने वालों का कर्ज़दार होना। दूसरे शब्दों में कहें तो यूपी का हर बाशिंदा चाहे उसने कर्ज लिया हो या ना लिया हो लेकिन वह फिर भी एक बड़ी रकम का कर्जदार है ।अब आप समझ गए होंगे कि कैसे इन चुनावी लालीपॉप से नेता और पार्टियां मालामाल होती गई जबकि यूपी कंगाल ।
Report- Truthstoday Desk

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