पुलिस के वाहन चेकिंग के दौरान एक युवक की आँख चोटिल होने की खबर सामने लाने के फ़ौरन बाद अम्बेडकर नगर पुलिस महकमा हरकत में आ गया ।अम्बेडकर नगर के पुलिस अधीक्षक ने इस बारे में जो जांच रिपार्ट तलब की वह रिपोर्ट भी सामने आ गई ।
जांच रिपोर्ट की कॉपी पुलिस ने Truthstoday को भी भेजी है । इस रिपोर्ट में जांचकर्ता ने चेकिंग के दौरान मौजूद सभी पुलिस स्टाफ को क्लीन चिट दे दी है । जांच रिपोर्ट के अनुसार जब चेकिंग के दौरान उसे आरक्षी ने रोकने का इशारा किया गया तो वह युवक नहीं रुका और तेज चलाने के कारण अनियंत्रित होकर खुद ही गिर गया ।उसको आँखों में जो चोट आई है वह खुद उसकी मोटरसाइकिल में बंधे सामान से आई है न कि पुलिस के दुर्व्यवहार से आई है । Truthstoday का मकसद केवल सच को सामने लाना है । हालांकि जो जांच रिपोर्ट हमें भेजी गई है । हमने इस जांच रिपोर्ट की पड़ताल की तो यह सामने आ गया कि जांच रिपोर्ट में बिना सभी तथ्यों की जांच किये रिपोर्ट भेज दी गई है । पुलिस के अफसर से भी हम यही चाहेंगे कि इस घटना का वास्तविक सच सामने आये क्योकि पुलिस जनता की सुरक्षा के लिए होती है और अगर उसपर ऐसे आरोप लगते है तो उसका सच वाहर आना ही चाहिए ।
जांच रिपोर्ट में क्या है खामियां …?
दरअसल पूरी जांच रिपोर्ट ही खामियों का पुलंदा है । हर जांच रिपोर्ट में भुक्तभोगी और आरोपी दोनों पक्षो की बात होती है लेकिन जांच रिपोर्ट आरोपी पुलिसवालों का पक्ष तो रखती है लेकिन भुक्तभोगी के पक्ष की तो बात ही नहीं करती जैसे रिपोर्ट तैयार करने के पहले भुक्तभोगी से बात ही न की गई हो । इसी से उठते है लोगो के मन में कई सवाल उन्ही सवालो को हम आवाज देने की कोशिश कर रहे है ।
1-पहला सवाल यह कि जाँच रिपोर्ट में कौन कौन से पुलिसकर्मी उस समय चेकिंग टीम के सदस्य थे कुछ क्यों नहीं लिखा , जिस पुलिसकर्मी के रोके जाने की बात कही गई है उनकी पहचान और नाम का उल्लेख क्यों नहीं किया गया ?
2-दूसरा सवाल है कि जब जांच रिपोर्ट खुद कहती है कि पुलिसकर्मी ने रोका तो उसे खुद गिरकर चोट लगी तो चेकिंग टीम ने खुद उसे किसी अस्पताल में क्यों नहीं भिजवाया ?
3-तीसरा और अहम सवाल जानकारी पाकर पहुंचे इंसेक्टर उसे लेकर इलाज जे लिए सरकारी अस्पताल के बजाय निजी अस्पताल क्यों गए ..?
और अंतिम सवाल क्या उससे कोई तहरीर पुलिस ने ली और अगर ली तो उसका हुआ क्या …?
जाहिर है इन सवालों जे जबाब सभी जानना चाहते होंगे सिवाय उस जांच अधिकारी के जिनको इन सवालों में कोई दिलचस्पी ही नहीं रही इसीलिये इन बिंदुओं पर उनकी जांच रिपोर्ट खामोश है और यही खामोशी पूरी जांच रिपोर्ट को कटघरे में खड़ा करती है । हमें उम्मीद है अम्बेडकर नगर के पुलिस अधीक्षक मानवता और पुलिस की साख दोनों को ध्यान में रखते हुए पक्षपात रहित जांच कराएंगे जिससे पुलिस के प्रति लोगो का न सिर्फ भरोसा बढे बल्कि अगर कोई दोषी है तो उसके खिलाफ की गई कार्रवाई अन्य के लिए नजीर बने । हम उनको भरोसा दिलाते है कि हम सच की हर लड़ाई में साथ है और अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच होती है तो न सिर्फ सच को बाहर लाने की सार्थक पहल होगी बल्कि सराहनीय कदम भी ।
क्या था पूरा मामला …?
उत्तर प्रदेश की संवेदनहीन पुलिस,चेकिंग के नाम पर फोड़ी युवक की आंख
उत्तर प्रदेश की पुलिस की खौफनाक तश्वीरें तो अक्सर देखने और सुनने को मिलती हैं |ऐसी ही एक तश्वीर अम्बेडकरनगर के टांडा कोतवाली की पुलिस की सामने आई है |
जहाँ चेकिंग के दौरान एक बाइक सवार युवक को सिर्फ इसलिए लाठिया खानी पड़ी क्योकि उसने बाइक साइड लगाने में देरी कर दी इस दौरान सिपाही की एक लाठी युवक के आँख में लग गयी और उसकी आंख से खून निकलने लगा,तो वहाँ मौजूद सिपाही उसे घायल अवस्था में छोड़ फरार हो गये |तो वही पुलिस अधिकारी इसे दुर्घटना बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे है।
बुनकर नगरी टांडा के सकरावल मुहल्ले का निवासी 25 वर्षीय युवक गौसुल वरा अपने पावर लूम पर गमछा तैयार कर उसकी फेरी लगाकर बेंचता है और इसी से अपने बूढ़े माँ बाप और परिवार का पालन पोषण करता है | युवक मोटरसाइकिल से गमझा लेकर किछौछा दरगाह जा रहा था | दोपहर में टांडा कोतवाली की पुलिस बसखारी रोड पर वाहन चेकिंग लगाए हुए थी| इस युवक को भी पुलिस ने रुकने का इशारा किया, जिस पर यह गाडी किनारे लगा ही रहा था कि अचानक दूसरा मोटरसाइकिल वाला व्यक्ति पुलिस की पकड़ से भाग लिया और इसी बात से खीझा पुलिस का एक जवान बिना किसी वजह के इस गरीब बुनकर गौसुल वरा के ऊपर बिना सोंचे समझे लाठी चला दी और यह भी नहीं समझा कि उसे चोट कहाँ लगेगी हुआ भी वही |पुलिस की लाठी सीधा युवक की दाहिनी आँख पर लगी और फिर आँख से खून निकलने लगा , खून निकलता देख पुलिस वाले उसे सडक पर ही छोड़कर मौके से भाग निकले |काफी देर तक यह युवक सडक पर तडपता रहा |जब इसकी जानकारी कोतवाल वकील सिंह यादव को हुई तो वे मौके पर पहुँच कर युवक को अपने साथ ले तो आये, लेकिन उसे किसी सरकारी अस्पताल या मेडिकल कालेज में भर्ती कराकर इलाज कराने के बजाय बिना किसी लिखा पढ़ी के ही एक प्राइवेट डाक्टर की क्लिनिक पर मरहम पट्टी कराकर चलते बने।
जिस डाक्टर के यहाँ इस युवक का इलाज चल रहा था वहां जब युवक की आँख से पट्टी खोली गई तो चोट लगी आँख से युवक को कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा है| यह देखकर युवक के घर में कोहराम मच गया और युवक के बूढ़े माँ बाप के अलावा घर के अन्य सदस्यों के सामने आफत आ गई, क्योंकि यही युवक अपने परिवार के लिए अकेला कमाऊ सदस्य है | डाक्टर आँख की पट्टी हटने के बाद रोशनी न होने पर उसे कही बाहर दिखने की सलाह दी है | युवक के पिता इक़बाल अहमद अब अपने लड़के की आँख को लेकर इस बात से परेशान हैं कि उनके परिवार की रोजी मौके पर कैसे चलेगी और जो सबसे ज्यादा परेशानी है वह यह कि आँख का इलाज कराने के लिए उनके पास पैसा भी नहीं है। वहीँ पुलिस इस पूरे मामले से अपना पीछा छुड़ाती हुई दिखाई पड़ रही है| पुलिस अधीक्षक इस घटना को दुर्घटना बताते हुए कहा कि सीओ से जांच कराई गई है जिसमे पता चला है कि युवक चेकिंग देखकर तेज रफ्तार में गाड़ी मोड़ रहा था और गिरकर चोटिल हो गया।
Report- Abbas
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